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गृह मंत्रालय ने मांगी हर्षिल इनर लाइन पर रिपोर्ट

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए विख्यात पर्यटक स्थल हर्षिल को इनर लाइन (आ

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 01:00 AM (IST)
गृह मंत्रालय ने मांगी हर्षिल इनर लाइन पर रिपोर्ट
गृह मंत्रालय ने मांगी हर्षिल इनर लाइन पर रिपोर्ट

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी

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अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए विख्यात पर्यटक स्थल हर्षिल को इनर लाइन (आंतरिक सुरक्षा रेखा) से मुक्त करने की कवायद अब आगे बढ़ने लगी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उत्तरकाशी जिला प्रशासन से हर्षिल, मुखवा व बगोरी का खसरा-खतौनी सहित विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। गृह मंत्रालय की ओर से रिपोर्ट मांगे जाने की पुष्टि जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने की। असल मेंहर्षिल के इनर लाइन क्षेत्र में होने के कारण विदेशी पर्यटकों को यहां जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। साथ ही विदेशी पर्यटक यहां रात्रि विश्राम भी नहीं कर सकते।

उत्तराखंड का स्विटरजरलैंड कहा जाने वाला हर्षिल अपनी सुदंरता के लिए खास पहचान रखता है। लेकिन, भारत-चीन सीमा निकट होने के कारण इस क्षेत्र को इनर लाइन क्षेत्र में शामिल किया गया था। इसी कारण यहां विदेशी पर्यटक रात को ठहर नहीं सकते। यहां जाने के लिए भी उन्हें बाकायदा अनुमति लेनी पड़ती है। यही वजह है कि यहां के पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग पिछले तीन दशक से हर्षिल को इनर लाइन मुक्त करने मांग उठा रहे हैं। लेकिन, अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई।

पूर्व में जिला प्रशासन ने इनर लाइन के संबंध में शासन को रिपोर्ट भेजी थी। इसी के अनुरूप प्रदेश के मुख्य सचिव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र भेजकर हर्षिल को इनर लाइन मुक्त करने की मांग की थी। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जिला प्रशासन से एक रिपोर्ट मांगी है। इस आशय का पत्र प्रशासन को मिल भी गया है। पत्र में इनर लाइन क्षेत्र में आने वाले हर्षिल, मुखवा व बगोरी गांव का नक्शा, खसरा व खतौनी के साथ विस्तृत प्रस्ताव मांगा गया है। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि रिपोर्ट तैयार जल्द ही गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी। ताकि जल्द से जल्द हर्षिल इनर लाइन से बाहर हो सके।

विदित हो कि हर्षिल को इनर लाइन से मुक्त करने की प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी वकालत कर रहे हैं। उत्तरकाशी में भाजपा नेता लोकेंद्र ¨सह बिष्ट भी कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं। उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को पत्र भी भेजा है।

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क्या है इनर लाइन

दूसरे देशों की सीमाओं के नजदीक स्थित वह क्षेत्र, जो सामरिक दृष्टि से महत्व रखता हो, इनर लाइन घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में सिर्फ स्थानीय लोग ही प्रवेश कर सकते हैं। विदेशी पर्यटकों को यहां जाने के लिए इनर लाइन परमिट जारी किया जाता है। हालांकि, इसके बाद भी वे एक तय सीमा तक ही इनर लाइन क्षेत्र में घूम सकते हैं। उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के अलावा चमोली व पिथौरागढ़ जिलों में भी चीन सीमा से लगे इनर लाइन क्षेत्र हैं। हर्षिल के ऊपर पहाड़ी पर तो अब भी 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान बने सेना के बंकर मौजूद हैं।


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