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गंगा के किनारे गूंजे 'मंदाकिनी' के गीत

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी लोक संस्कृति का द्योतक पौराणिक माघ मेले में लोक संस्कृति की विविधता की

By Edited By: Published: Tue, 17 Jan 2017 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jan 2017 01:00 AM (IST)
गंगा के किनारे गूंजे 'मंदाकिनी' के गीत
गंगा के किनारे गूंजे 'मंदाकिनी' के गीत

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी

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लोक संस्कृति का द्योतक पौराणिक माघ मेले में लोक संस्कृति की विविधता की झलकें दिखाई दे रही हैं। मेले में हर दिन अलग-अलग क्षेत्रों से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग प्रस्तुतियों से लोक कलाकार दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। स्थानीय स्तर से लेकर पूरे प्रदेश भर से पहुंच रही सांस्कृतिक टीमें अपनी लोक संस्कृति से यहां पहुंचने वाले दर्शकों को रूबरू करा रहे हैं। रविवार की शाम को सारेगामापा की फेम रही सोनिया आनंद ने समां बांधा। इस मौके पर राजकपूर की राम तेरी गंगा मैली फिल्म हर्षिल में मंदाकिनी पर सूट हुस्न पहाड़ों का वो साहिबा क्या कहना, यहां बारहों महीने मौसम है जाड़ों का गाने की धुन ने सभी को भावविभोर कर दिया।

मकर संक्रांति के पर्व पर शुरू हुए आठ दिवसीय माघ मेले में विभिन्न स्थानों की संस्कृति की झलक एक मंच पर दर्शकों को देखने को मिल रही है। मेले में पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, कोटद्वार, जौनपुर, जौनसार व रवांई घाटी के गायक मेले में खास रंग जमा रहे हैं। साथ ही जिले के समस्त विकास खंडों से सांस्कृतिक टीमें अपनी संस्कृति से लोगों को खासे प्रभावित कर रहे हैं। मेले में पुराने लोक गायकों एवं लोक कलाकारों के साथ ही नए लोक कलाकारों व लोक गायकों को भी तरहजीह दी गई है जो नित नए सांस्कृतिक कार्यक्रमों से मेले में समां बांध रहे हैं। कार्यक्रमों को देखने के लिए हर रोज लोगों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ रही है। रविवार की शाम को सारेगामापा की फेम रही सोनिया आनंद ने तूने क्या रंगीले कैसे जादू किया, हुस्न पहाड़ों का क्या कहना के बारहों महीने यहां मौसम जाड़ों का..., सहित कई गीत प्रस्तुत किए। जबकि सोमवार को बचन भटवाटन कंसेण, नागराजा कला मंच जुणगा, विकास खंड चिन्यालीसौड़ का सांस्कृतिक कार्यक्रम, महाविद्यालय की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोक गायक शिव भट्ट एंड पार्टी कोटद्वार की ओर कार्यक्रम, गोस्वामी गणेशदत्त विद्यामंदिर की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया।

माघ मेले की पौराणिकता एवं धार्मिकता बनाए रखने का प्रयास किया गया है। लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए स्थानीय स्तर से लेकर देश के प्रमुख कलाकारों एवं लोक गायकों को मेले में आमंत्रित किया गया है।

आशीष श्रीवास्तव, जिलाधिकारी उत्तरकाशी


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