अमेरिकी शोधार्थी का सहयोगी बना लोकरंग
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : गढ़वाल की संस्कृति व आध्यात्मिका देश ही नहीं विदेशों में भी आकर्षण का क
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : गढ़वाल की संस्कृति व आध्यात्मिका देश ही नहीं विदेशों में भी आकर्षण का केंद्र है। इसी से आकर्षित होकर अमेरिकी शोधार्थी जैसन बसनूस्कि यहां मशकबीन पर शोध करने आए हैं। लोकरंग उत्तरकाशी तथा लोककला निष्पादन केंद्र गढ़वाल विश्वविद्यालय के अध्यापक व पूर्व छात्रों के सहयोग से जैसन लोक संस्कृति से जुड़े कलाकारों से मिलकर शोध विषय की जानकारियां जुटा रहे हैं।
सेंट बारबर यूनिवर्सिटी कैलिफोर्निया (अमेरिका) के संगीत एवं संस्कृति विषय के 32 वर्षीय शोधार्थी जैसन बसनूस्कि गढ़वाल की संस्कृति में समाहित हो चुके स्कॉटिक वाद्य बैगपाइपर यानि मशकबीन के संबंध में जानकारी जुटा रहे हैं। लोकभाषा, साहित्य व संस्कृति संरक्षण में जुटी लोकरंग उत्तरकाशी के सहयोग से जैसन ने सुप्रसिद्ध लोकगायक व साहित्यकार ओम बधाणी से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान गढ़वाली संस्कृति में मशकबीन के महत्व, इतिहास, आध्यात्मिक, सामाजिक, संगीत पक्ष के बारे में जानकारी प्राप्त की तथा लोक वाद्य व अन्य विधाओं में लोकरंग की भूमिका की जानकारी भी ली। ओम बधाणी ने बताया कि अंग्रेजी सेना के गढ़वाल में प्रवेश के साथ ही स्कॉटिक वाद्य मशकबीन यहां की संस्कृति में पूरी तरह समाहित हो चुका है। भाव प्रधान मांगलिक व पूजन आदि कार्यों में मशकबीन का बेहतर उपयोग किया जाता है।
लोककला निष्पादन केंद्र एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के अध्यापक डॉ. अजीत पंवार के मार्गदर्शन व सुरेन्द्र पुरी के सहयोग से बाजगी-लोक कलाकार हुकुमदास से मशकबीन का प्रशिक्षण लिया था। 15 दिन उत्तरकाशी में रहकर जेसन ने हुकुम दास से मशकबीन के साथ ही यहां के लोकगीतों व संगीत की बारीकियां भी समझीं।