किसानों को बताए अरहर उत्पादन के वैज्ञानिक तरीके
संवाद सूत्र, चिन्यालीसौड़ : अरहर प्रक्षेत्र दिवस पर कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ के वैज्ञानिकों ने
संवाद सूत्र, चिन्यालीसौड़ : अरहर प्रक्षेत्र दिवस पर कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ के वैज्ञानिकों ने नेरी गांव में पहुंचकर किसानों को अरहर उत्पादन की जानकारी दी ।
शनिवार को चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के ने गांव के आयोजित अरहर दिवस के अवसर पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. पंकज नौटियाल ने कहा है कि विवेकानंद लेबोरेट्री (वीएल) प्रजाति की अरहर की किस्में बोकर 140 से 145 दिनों में फसल काटी जा सकती है। जिले में पारंपरिक उड़द, मूंग एवं तिल की उत्पादन क्षमता की तुलना में अरहर का उत्पादन कम है। इसलिए किसानों को कम आर्थिक लाभ हो रहा है। जबकि इन किस्मों को लगाने से यदि किसानों को लाभ होगा तो अगले वर्ष जिले में अरहर का रकबा भी बढ़ेगा। इस मौके पर डॉ. गौरव पपनै ने किसानों से कहा कि मेढ़ नाली पद्धति में अरहर को बो कर अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही खरीफ फसल होने से किसानों को खरपतवार नियंत्रण का विशेष ध्यान रखना होगा। क्योंकि सारे रोग, कीट व खरपतवार सीधे तौर पर भी फसल को हानि पहुंचा सकती हैं। उन्होंने कहा कि खरपतवार नियंत्रण एवं अन्य उन्नत कृषि तकनीक के साथ कूढ़नाली में लगाकर अरहर फसल से आशातीत उपज एवं अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर डॉ.वीके सचान ने किसानों को रोग व कीट नियंत्रण को निश्चित मात्रा में दवा का ही प्रयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कम मात्रा में अथवा दो से अधिक दवाएं मिलाकर एक साथ देने से कीट रोग नियंत्रण न होकर उससे नुकसान होता है। इस मौके पर बुद्बि ¨सह रावत, मनीषा आर्य, हाकिम चौहान सहित कई किसान मौजूद रहे।।