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भेड़पालन व्यवसाय पर पड़ा लापरवाही का ताला

संवाद सूत्र, भटवाड़ी: सीमांत जनपद उत्तरकाशी में भेड़पालन व्यवसाय को ऊंचाई पर ले जाने का सपना, सपना ही

By Edited By: Published: Sat, 27 Aug 2016 05:51 PM (IST)Updated: Sat, 27 Aug 2016 05:51 PM (IST)
भेड़पालन व्यवसाय पर पड़ा लापरवाही का ताला

संवाद सूत्र, भटवाड़ी: सीमांत जनपद उत्तरकाशी में भेड़पालन व्यवसाय को ऊंचाई पर ले जाने का सपना, सपना ही बनकर रह गया है। भेड़पालकों के लिए भटवाड़ी ब्लॉक में खोला गया खादी ग्रामोद्योग केंद्र ही इस सपने को सच करने की राह में रोड़ा बना हुआ है। यकीन करना मुश्किल है मगर केंद्र में पिछले आठ साल से ताला लटका हुआ है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि भेड़पालकों के लिए जिम्मेदार अफसर कितना संजीदा हैं। जबकि सीमांत जिला उत्तरकाशी में भेड़पालन कई काश्तकारों की आजीविका का साधन है।

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विकास खंड भटवाड़ी में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने 1978 में भेड़ पालकों को रोजगार देने के लिए खादी ग्रामोद्योग केंद्र स्थापित किया। राज्य बनने से पहले तक इस केंद्र में कताई-बुनाई का काम सिखाया जाता था। यहां तैनात तीन कर्मचारी भेड़पालकों के लिए प्रशिक्षण भी देते थे। मगर एक कर्मचारी वर्ष 2004 में सेवानिवृत्त हो गया। वर्ष 2006 में दूसरे और वर्ष 2008 में तीसरे कर्मचारी ने भी सेवानिवृत्ति ले ली। तब से केंद्र में ताला लटका हुआ है। तब से लेकर अभी तक विभाग ने यहां किसी को भी तैनात नहीं किया गया है। वहीं इससे भेड़पालकों को ऊन की कताई और धुलाई के लिए दिक्कत उठानी पड़ रही है। ऊन बेचने के लिए भी किसानों के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। बिचोलियों के हाथों ऊन बेचने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि भटवाड़ी ब्लॉक में 200 से अधिक भेड़पालक हैं। भेड़ पालक रवि ¨सह राणा कहते हैं कि भटवाड़ी में खादी ग्रामोद्योग के केंद्र में ऊन कताई तथा धुलाई के लिए काफी मशीनें हैं, मगर केंद्र में ताला लटका होने से और कर्मचारी तैनात नहीं होने से इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

ये सुविधाएं मिलनी थी केंद्र से

खादी ग्रामोद्योग केंद्र में भेड़ पालकों व स्थानीय महिलाओं को कताई-बुनाई का प्रशिक्षण दिया जाना था। प्रशिक्षण के बाद लाभार्थियों को रोजगार के लिए कताई-बुनाई के लिए मशीन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी केंद्र की थी। ऊन से बने उत्पादों को केंद्र में बेचने का काम भी केंद्र का था।

केंद्र के लिए एक कर्मचारी भेजा जा रहा है। वर्ष में छह माह तक चलने वाले प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षक भी भेजे जाएंगे। नई भर्ती होने पर अन्य दो कर्मचारियों को भी केंद्र में नियुक्त किया जाएगा। इससे केंद्र संचालित हो सकेगा।

सुरेन्द्र ¨सह, क्षेत्रीय अधीक्षक, खादी ग्राम उद्योग बोर्ड चंबा।


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