सेब के बाद अब अनार को तरजीह
संवाद सूत्र, नौगांव : यमुनाघाटी के बागवान अब सेब के बाद अनार को तरजीह दे रहे हैं। अधिकांश काश्तकार अ
संवाद सूत्र, नौगांव : यमुनाघाटी के बागवान अब सेब के बाद अनार को तरजीह दे रहे हैं। अधिकांश काश्तकार अनार के पौधों को बगीचों और निजी खेतों में रोप रहे हैं। क्षेत्र में स्थापित नर्सरियों से अब तक अनार की 25 हजार पौध काश्तकारों की ओर से खरीदी गई है।
यमुनाघाटी में अनार लोअर बेल्ट की आर्थिकी की रीढ़ बन रहा है। सेब के बाद यमुनाघाटी में अनार की पौध का बडे़ पैमाने पर रोपण हो रहा है। बागवान अधिकतर काबुली, कांधारी, मृदुला और ¨सदूरी किस्मों को तरजीह दे रहे हैं। पिछले दिसंबर माह से अब तक नर्सरियों से 25 हजारों अनार के पौधों की खेप उठ चुकी है। नौगांव क्षेत्र के तुनाल्का, भाटिया, मुराड़ी, क्वाड़ी, ¨बगसी, नैणी, धारी, भंकोली, थली, तल्डा, सुनारा, नौगांव व पुरोला के खलाड़ी गांव में ग्रामीण अनार को तरजीह दे रहे हैं। कई बागवानों ने अपने स्तर पर ही अनार के पौधे तैयार कर अपने बगीचों व खेतों में रोपण किया। यमुनाघाटी की लोअर बेल्ट में अनार का भारी मात्रा में रोपण हो रहा है। नर्सरी संचालक महावीर चंद, जोगेंद्र सरदार, यशवंत कुमार ने कहा कि इस बार नर्सरियों से अनार की भारी डिमांड रही। अधिकांश क्षेत्र के बागवानों की ओर से अनार के पौधों की डिमांड की जा रही है। उद्यान विशेषज्ञों का कहना है कि बागवान मार्च माह के अंत तक बगीचों में अनार के पौधे लगा सकते हैं। अनार के पौधों को दो गुणा दो आकार के गड्ढों में रोपे। यदि पौधा दो वर्ष का है तो इसके लिए गड्ढे का आकार बढ़ाना पडे़गा। वहीं रवाईं घाटी फल व सब्जी उत्पादक एसोसिएशन के अध्यक्ष जगमोहन चंद, बलवीर ¨सह, सुरेश रमोला, वृजमोहन ¨सह आदि ने आने वाले वर्षों में अनार की खेती को लाभदायक बताया। कहा कि इससे लोगों का व्यवसाय बढ़ेगा व आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।