यमुना में बही अन्नदाता की उम्मीदें
तिलक चंद रमोला, नौगांव : यमुना नदी ने कुछ वर्ष पूर्व अपने पानी से जहां ग्रामीण इलाकों के खेतों को
तिलक चंद रमोला, नौगांव :
यमुना नदी ने कुछ वर्ष पूर्व अपने पानी से जहां ग्रामीण इलाकों के खेतों को उपजाऊ बना दिया था वहीं आज स्थिति यह है कि भारी बारिश के चलते नदी में जलस्तर बढ़ने और बाढ़ सुरक्षा दीवार न होने के कारण अन्नदाता की कई नाली कृषि भूमि यमुना की जद में है। बात बड़कोट तहसील के द्वार सेरी नामे तोक के आठ गांवों की है, जिसकी सिंचित भूमि को यमुना के बहाव के कारण खतरा बना हुआ है।
बड़कोट तहसील के द्वार सेरी नामे तोक मुंगरा, नौगांव, किमी, देवलसारी, पिसाऊ, धारी, मुराड़ी, मंज्याली के ग्रामीणों की सैकड़ों नाली भूमि है। इस भूमि पर धान व गेहूं की अच्छी पैदावार होती है। लेकिन, 2010 में यमुना में आई बाढ़ अपने साथ कई खेत बहा ले गई। वर्ष 2013 में भी यमुना में आई बाढ़ के कारण उपजाऊ भूमि को नुकसान हुआ था। यमुना के बहाव के कारण तब से आज तक कृषि भूमि के कटाव का सिलसिला जारी है। ग्रामीणों की मानें तो अभी तक द्वारा सेरी में पंद्रह खेत बह चुके हैं। इसको लेकर ग्रामीण कई बार ¨सचाई विभाग व प्रशासन से बाढ़ सुरक्षा का इंतजाम करने की मांग कर चुके हैं। लेकिन अभी तक ¨सचाई विभाग ने इसको लेकर न तो योजना बनाई है और न ही शासन को इसका प्रस्ताव भेजा है। ग्रामीण धनवीर ¨सह, दर्मियान ¨सह, बलवीर ¨सह, प्रताप ¨सह, त्रेपन ¨सह, बलवंत ¨सह, कमल ¨सह, सुंदर ¨सह, फुलक ¨सह, केदार ¨सह, शांति प्रसाद आदि का कहना है कि वर्ष 2010 के बाद हर साल मानसून का समय मुसीबत बनकर आ रहा है।
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इन ग्रामीणों के बहे खेत
-नौगांव निवासी प्रताप ¨सह - 3 खेत
-नौगांव निवासी गुलाब ¨सह - 2 खेत
-मुंगरा निवासी जयवीर - 4 खेत
-नौगांव निवासी कमल ¨सह - 2 खेत
-नौगांव निवासी जयपाल - 2 खेत
-पिसांऊ निवासी राजेन्द्र ¨सह - 1 खेत
-मुंगरा निवासी मानेन्द्र ¨सह -1 खेत
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बाढ़ सुरक्षा के लिए पिछली बार पूरा बजट नहीं मिल पाया था। इस बार बजट आने पर द्वारा सेरी तोक में बाढ़ सुरक्षा कार्य कराया जाएगा।
-राजकुमार पांडे, एसडीएम बड़कोट