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नकदी फसलों की ब्रांडिंग को बाजार तैयार

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : जल्द ही उत्तरकाशी जिले को नकदी फसलों के लिए जाना जाएगा। जिला उद्यान विभ

By Edited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 06:02 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 06:02 PM (IST)
नकदी फसलों की ब्रांडिंग को बाजार तैयार

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : जल्द ही उत्तरकाशी जिले को नकदी फसलों के लिए जाना जाएगा। जिला उद्यान विभाग ने इसके लिए कमर कस ली है। जिले में नकदी फसलों को बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है। जिला उद्यान विभाग इसके लिए गठित राजकीय बागवानी बोर्ड की मदद लेगा। बाजार की समस्या के कारण तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों का रुझान नकदी फसलों की ओर कम है। बागबानी बोर्ड किसानों को न केवल बाजार उपलब्ध कराएगा, बल्कि उन्हें नकदी फसलों के उत्पादन को जागरूक भी करेगा।

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जिले में रवांई घाटी को छोड़कर अन्य इलाकों में नकदी फसलों की खेती में अब भी किसान संकोच कर रहे हैं। इसका बड़ा कारण बाजार का अभाव है। नकदी फसलों के सामने बाजार में पहचान न होने, ग्राहक तक सीधी पहुंच न होने व बिचौलियों की मनमानी से निपटने की चुनौती है। इसके लिए सरकार ने हाल ही में राज्य स्तर पर राजकीय बागवानी बोर्ड का गठन किया है। इसके जरिये अब उद्यान विभाग जिले में नकदी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही किसानों के लिए बाजार की व्यवस्था करेगा। इस काम में नकदी फसलों में शामिल फल और सब्जियों की खास ब्रांडिंग की जाएगी, जिससे उन्हें बाजार और विभिन्न वर्गो में बंटे ग्राहकों के बीच पहचान मिल सके। अब तक जिले में हर्षिल का सेब हिमाचल के नाम पर बड़ी मंडियों तक पहुंच रहा है। हर साल सेब की उपज निकलने के समय हिमाचल के खरीदार ग्रेडिंग मशीन के साथ यहां पहुंचकर खरीदारी करते आए हैं। स्थानीय काश्तकारों की बाजार तक पहुंच न होने के कारण उन्हें इस उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता। यही स्थिति जिले में लाल चावल, नाशपाती और अन्य नकदी फसलों के साथ है। अब बोर्ड की मदद से इन सभी फल और सब्जियों को बड़ी खरीदार कंपनियों तक पहुंचाया जाएगा।

बिचौलिये हो जाते हैं संगठित

आमतौर पर स्थानीय बाजारों में बिचौलियों का नेटवर्क संगठित होकर किसानों से बहुत कम दाम पर नकदी फसलें खरीद लेता है। उपज के बरबाद होने के डर से किसान इन बिचौलियों से अपनी कड़ी मेहनत का सौदा भी कर लेते हैं। कम दाम मिलने के कारण उनके उत्पादन को बढ़ाने या खेती को आजीविका का साधन बनाने का हौसला भी टूट जाता है।

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जिले में नकदी फसलों के उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन, हिमाचल का अनुसरण करने की बजाय किसानों को खुद पर भरोसा करना होगा। राजकीय बागवानी बोर्ड की मदद से अब उनके उत्पाद की ब्रांडिंग कर सरकार किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाने की कोशिश में है।

नरेंद्र यादव, जिला उद्यान अधिकारी


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