समाज कल्याण की पेंशन बनी टेंशन
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : समाज कल्याण विभाग की योजनाओं प्रभावी बनाने के सरकारी प्रयासों पर खुद वि
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : समाज कल्याण विभाग की योजनाओं प्रभावी बनाने के सरकारी प्रयासों पर खुद विभाग पलीता लगा रहा है। विभाग की कार्यशैली लोगों को लाभ पहुंचाने के बजाय उन्हें परेशान कर रही है। खासकर वृद्धावस्था व विधवा पेंशन योजना का तो यह हश्र दिख रहा है। पेंशन के लिए आवेदक लगातार विभाग के चक्कर काट रहे हैं। वहीं विभाग नए आवेदन नहीं ले रहा है।
सीमांत जिले में सरकार की कोशिशों पर विभागीय लापरवाही भारी पड़ रही है। समाज कल्याण विभाग में विधवा व वृद्धावस्था पेंशन तीन माह में स्वीकृत होती थी। अब शासन की ओर से यह अवधि घटाकर एक माह कर दी गई है। लेकिन धरातल पर हालत यह है कि ब्लॉक स्तर पर विधवा पेंशन को आवेदन करने वाली निराश्रित महिलाएं समाज कल्याण विभाग के दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हैं। जिले में अब तक सौ महिलाओं के आवेदन लंबित पड़े हैं। जबकि करीब ढाई सौ महिलाओं को मार्च से पेंशन नहीं मिली है। डुण्डा प्रखंड के सिरी गांव की पानपति, रतना देवी व कुटुंबदेई को तो छह माह से पेंशन नहीं मिली। वहीं, सौड़ गांव की हुकुम देई व कुमारकोट की ऊषा देवी की पेंशन मार्च माह से स्वीकृत नहीं हुई है। समाज कल्याण विभाग की योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए जिले में शिविर भी लगाए गए। लेकिन शिविर में मात्र औपचारिकताएं ही निभाई गई।
यह है पेंशन की प्रक्रिया
समाज कल्याण विभाग से पेंशन के लिए पहले ग्राम पंचायत की खुली बैठक में पात्र लोगों का चयन किया जाता है। उसके बाद आवेदन ब्लॉक कार्यालय में जमा किए जाते हैं। ब्लॉक से आवेदन की सभी औपचारिकताएं पूरी कर विभाग को भेजे जाते हैं। विभाग की ओर से पात्र लोगों का चयन कर पेंशन स्वीकृत की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी जिम्मेदारी सीडीओ की होती है।
'विभाग की विभिन्न योजनाओं के लिए जल्द ही शिविर लगाकर लोगों तक पहुंचा जाएगा, स्टाफ की कमी के कारण विधवा पेंशन की प्रक्रिया पूरी करने में कुछ परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।'-मदनलाल, जिला समाज कल्याण अधिकारी।