गोद में लिया पैरों पर खड़ा गांव
सांसद आदर्श गांव बौन पुष्कर रावत, उत्तरकाशी उत्तरकाशी जिले का बौन गांव तक सड़क है और बिजली भी। ए
सांसद आदर्श गांव बौन
पुष्कर रावत, उत्तरकाशी
उत्तरकाशी जिले का बौन गांव तक सड़क है और बिजली भी। एक इंजीनियरिंग कालेज का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। साक्षरता दर पुरुषों में 70 फीसद है और महिलाओं में 55 फीसद। इस गांव को गोद लिया है टिहरी की सांसद महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह ने। इसमें कोई दो राय नहीं गांव अपने पैरों पर खड़ा है, अब जरूरत है इस बात कि वह विकास की सड़क पर रफ्तार भी पकड़ सके।
गांव को गर्व है कि महारानी ने आदर्श गांव के तौर पर विकसित करने के लिए उनके गांव को चुना है। वहीं आस पड़ोस के ग्रामीण इस चयन पर उंगली उठा रहे हैं। वह कहते हैं कि अन्य गांवों की तुलना में बौन की स्थिति बेहतर है, ऐसे में उन गांवों को तवज्जो मिलनी चाहिए थी, जहां मूलभूत सुविधाएं तक नहीं पहुंच पाई। लाटा के ग्राम प्रधान अनिल रावत चयन प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं। कहते हैं जिले के तमाम दूसरे गांव ऐसे हैं जो आपदा की मार से जूझ रहे हैं।
जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर डुण्डा ब्लाक के बौन गांव में 70 फीसद आबादी राजपूतों की है, जबकि 30 फीसद अनुसूचित जाति के हैं। मध्यम और निम्न मध्य वर्ग के परिवारों वाले गांव में नौकरी पेशा लोगों की संख्या भी अच्छी है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बुजर्गो के अनुसार बौन 18 वीं सदी में बसा था, लेकिन उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान गांव चर्चा में आया। आंदोलन में जबरदस्त भूमिका के कारण ही यहां के 32 आंदोलनकारी सरकारी नौकरी में हैं।
सिर्फ एक बार आई सांसद
अक्टूबर 2014 में गांव को गोद लेने के बाद से सांसद सिर्फ एक बार बीती जनवरी में ही यहां आई थी। गांव के लिए सांसद निधि से धनराशि मंजूर न किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि गांव के संसाधनों से ही इसे मॉडल रूप में विकसित किया जाएगा।
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बौन-एक नजर
कुल परिवार-227
कुल आबादी- 1,141
महिलाएं-579
पुरुष- 579
बीपीएल परिवार-118
एपीएल परिवार-88
अंत्योदय श्रेणी के परिवार- 27
आवास पक्के - 135
आवास कच्चे- 83
स्कूल- प्राथमिक, उच्चतर माध्यमिक व इंटर कॉलेज
अस्पताल- एक आयुर्वेदिक अस्पताल निर्माणाधीन, एक जीएनएम सेंटर
शौचालय- 70 फीसद घरों में
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खेतिहर जमीन- औसतन तीन हेक्टेयर प्रति परिवार
मुख्य फसल- धान व गेहूं, आल, मटर और टमाटर
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गांव के प्रतिनिधि बोले
'सांसद ने हमारे गांव को गोद लिया है यह गांव के विकास के लिए बड़ा अवसर है। उम्मीदें है सब अच्छा होगा।'
-बलदेव सिंह पडियार, ग्राम प्रधान
'गांव को सांसद ग्राम के रूप में अब पहचाना जाने लगा है। हमारे पास अपने संसाधन हैं, जरूरत है सरकारी तंत्र के सहयोगी की।'
-संतोषी सजवाण, जिला पंचायत सदस्य
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पड़ोस के ग्रामीण बोले
'बौन सुविधा संपन्न गांव रहा है ऐसे में इस गांव को सांसद ग्राम के रूप में विकसित करना गले नहीं उतरता, सांसद का यह निर्णय राजनीति से प्रेरित लगता है।'
गोविंद बिष्ट, निवासी ग्राम पंजियाला
'हमें सांसद से उम्मीद थी कि सड़क से पांच किमी की चढ़ाई के साथ ही बुनियादी सुविधाओं से वंचित हमारे जैसे गांवों को गोद लिया जाएगा, बजाए इसके उन्होंने बौन के रूप में एक आसान और सुविधा संपन्न गांव चुना।'
संजय पंवार, निवासी अगोड़ा
'इस चयन को देखते हुए संासद मॉडल ग्राम योजना पर ही सवाल खड़े हो गए हैं, जिले के अनेक गांव ऐसे हैं जो आपदा की मार से जूझ रहे हैं और वहां मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है'-अनिल रावत, ग्राम प्रधान लाटा
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सांसद बोलीं
'बौन को सांसद ग्राम के रूप में गोद लेने का निर्णय स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं और पंचायत प्रतिनिधियों से विचार विमर्श के बाद लिया गया है। यह सही है कि यहां सड़क और अन्य सुविधाएं पहले से हैं, लेकिन वे बदहाल हैं। इन सुविधाओं को ढर्रे पर लाकर गांव के संसाधनों से ही मॉडल गांव बनाया जाएगा, इसके लिए अलग से कोई बजट नहीं है। इसके अलावा क्षेत्र के अन्य गांवों में भी विकास कार्यो पर समान रूप से नजर रखी जाएगी'
माला राज्यलक्ष्मी शाह, सांसद टिहरी
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जागरण विचार
सांसद ने गांव गोद लिया तो बौन में गर्व का अहसास है और आस-पास के गांवों में सवालों की बौछार। पहले से ही सुविधा संपन्न गांव में यद्यपि अभी बदलाव की बयार नहीं दिख रही, लेकिन ग्रामीण अपने गांव को चयन पर बेहद खुश हैं। इसमें कुछ गलत नहीं कि सुविधा संपन्न गांव को गोद लिया गया। सांसद को चाहिए कि उत्तम गांव को सर्वोत्तम बनाएं, लेकिन सात माह में जो कुछ दिखा उससे सवाल उठने लाजिमी हैं। दूसरी ओर आसपास के ग्रामीण चयन पर सवाल खड़े कर रहे हैं। सांसद खुद भी मानती हैं कि गांव में सुविधाएं ठीक-ठाक हैं, बस उन्हें दुरुस्त करने की जरूरत है। बेहतर यही है कि सांसद को सक्रियता बढ़ाकर इन सुविधाओं को जल्द से जल्द बहाल करना चाहिए, जिससे अन्य गांवों पर भी ध्यान दिया जा सके। दूसरे गांव के लोगों की शिकायत बेजा नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं है गौरव एक अहसास है, लेकिन विकास जरूरत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा भी विकास ही है।
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