घाटों पर चहल पहल न शाम की आरती
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : यात्रा सीजन शुरू हो गया है, लेकिन बाढ़ से तबाह हुए घाटों का पुनर्निर्मा
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : यात्रा सीजन शुरू हो गया है, लेकिन बाढ़ से तबाह हुए घाटों का पुनर्निर्माण न होने से यात्री पुण्य लाभ नहीं कमा पा रहे हैं। पहले सीजन की शुरूआत में ही घाट यात्रियों से भरे रहते थे।
गंगोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव उत्तरकाशी में विश्वनाथ मंदिर में भागीरथी के जल से जलाभिषेक का बड़ा महत्व है। वर्ष 2013 से पहले गंगोत्री धाम का रुख करने वाले या गंगोत्री धाम से दर्शन कर लौटने वाले यात्री उत्तरकाशी में रुक कर विश्वनाथ में जलाभिषेक करते थे। इसके चलते मणिकर्णिका घाट, जड़भरत घाट, गंगा घाट आदि में सुबह शाम काफी चहल पहल बढ़ जाती थी। लेकिन इस बार नजारा अलग है। विश्वनाथ मंदिर के दर्शन को तो यात्री पहुंच रहे हैं। लेकिन गंगा भागीरथी के तटों का रुख नहीं कर रहे। हालांकि इसके पीछे नगर क्षेत्र में पार्किंग के इंतजाम और नगर पालिका की ओर से यात्रा की तैयारियों में कमी को जिम्मेदार माना जा रहा है। नगर पालिका परिषद की ओर से घाटों पर सुरक्षा इंतजाम के साथ ही यात्रा सीजन के दौरान यात्रियों को सूचना उपलब्ध कराने का कोई इंतजाम भी नहीं किया गया है। इसके कारण यहां पहुंचने वाले अधिकांश यात्री घाटों की स्थिति व उन तक पहुंचने वाले रास्तों से भी अनजान हैं।
दूसरी ओर भागीरथी तट पर सुरक्षा दीवार निर्माण का कार्य चल रहा है, इसके साथ ही घाटों का निर्माण भी होना है। अभी तक यह काम पूरा नहीं हो सका है, जिससे घाट पहले जैसी सुरक्षित स्थिति में नहीं हैं। यात्रियों की आवाजाही न होने के कारण इस बार मणिकर्णिका घाट पर शाम के वक्त गंगा आरती भी नहीं हो रही है। वहीं तटों पर पूजा पाठ को भी बहुत कम तादाद में लोग पहुंच रहे हैं।
नगर क्षेत्र में मणिकर्णिका घाट का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और अन्य घाटों को भी ठीक कराया जा रहा है। अब यात्री सुरक्षित घाटों की ओर जा सकते हैं।
जयेंद्री राणा, नगर पालिका अध्यक्ष