आस्था का साज, उम्मीदों भरा आगाज
पंकज कुमार, गंगोत्री धाम घंटे घड़ियालों की गूंज, गंगा के जयकारे, ढोल दमाऊं की थाप पर देवडोलियों का
पंकज कुमार, गंगोत्री धाम
घंटे घड़ियालों की गूंज, गंगा के जयकारे, ढोल दमाऊं की थाप पर देवडोलियों का नृत्य और श्रद्धालुओं का हुजूम, मौसम भी खुशगवार, चारों ओर उत्साह। यह नजारा गंगोत्री धाम का है। कपाट खुलने के दिन का नजारा देखते ही बनता था। मानो आपदा की काली छाया बीती बात हो गई हो और तमाम आशंकाएं आस्था के आगे नतमस्तक हो गई हों।
वर्ष 2013 की आपदा ने चार धाम यात्रा को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया था। पिछले साल चार धाम यात्रा इसके असर से नहीं उबर सकी। बीते साल 2 मई को जब गंगोत्री धाम के कपाट खुले तो करीब तीन सौ लोग ही धाम में मौजूद थे। यात्रियों की आमद बेहद कम होने से मायूसी में पूरा यात्रा सीजन बीत गया। खौफ का यह माहौल पूरे छह माह तक बना रहा। इन्हीं आशंकाओं के बीच गंगोत्री धाम में यात्रा की तैयारियों के साथ व्यापारी, तीर्थ पुरोहित व अन्य लोग जुटने शुरू हुए। अक्षय तृतीया के पर्व का सभी को इंतजार था और मंगलवार की सुबह गंगा की डोली के साथ तीर्थ पुरोहित गंगोत्री धाम पहुंचे तो श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ने लगा। गढ़वाल रायफल के बैंड की धुन और ढोल दमाऊं की थाप माहौल में उत्साह के साथ संगीत घोलने लगे। डोली के मंदिर पहुंचने तक गंगोत्री धाम में भागीरथी के दोनों ओर अधिकांश दुकानें खुल गई। पूजा सामग्री, गंगाजली, चुनरी आदि की दुकानों पर खरीदारी होने लगी, जिससे बाजार में व्यापारियों के चेहरों पर रौनक दिखने लगी। स्नान घाटों पर श्रद्धालु गोते लगाने लगे। ग्लेशियर से पिघलकर आ रही गंगा भागीरथी के ठंडे पानी की चुभन भी आस्था के आगे बेअसर हो गई। गंगा घाटी के गांवों के वाशिंदे अपने आराध्यों की देवडोलियों के साथ गंगा की शास्त्रीय महिमा में लोकजीवन का अनूठा रंग भर रही थी। मौसम को लेकर हर कोई फिलहाल बेफिक्र नजर आ रहा था। करीब चार हजार लोगों की मौजूदगी में गंगोत्री धाम के कपाट खुलते ही यात्रा का उम्मीदों से भरा आगाज हुआ।
कपाटोद्घाटन पर यात्रियों की बड़ी तादाद में मौजूदगी से काफी सुकून मिला है। इसने करीब दो साल की मायूसी को अचानक उत्साह में बदला है। उम्मीद है कि यात्रा निर्विघ्न संपन्न होगी।
भागेश्वर सेमवाल, अध्यक्ष गंगोत्री मंदिर समिति।