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महरूम पर नहीं बरसी तंत्र की नेमतें

संवाद सूत्र, पुरोला : मोरी ब्लॉक के फिताड़ी गांव में अग्निकांड से बेघर हुए परिवारों को उम्मीद थी कि ज

By Edited By: Published: Wed, 15 Apr 2015 05:05 PM (IST)Updated: Wed, 15 Apr 2015 05:05 PM (IST)
महरूम पर नहीं बरसी तंत्र की नेमतें

संवाद सूत्र, पुरोला : मोरी ब्लॉक के फिताड़ी गांव में अग्निकांड से बेघर हुए परिवारों को उम्मीद थी कि जिस तरह प्रशासनिक अधिकारियों ने घटना के बाद मौके पर जा कर उन्हें लुभावने आश्वासन दिए। उनके राख हुए घरों को फिर संवार दिया जाएगा, लेकिन प्रशासन की संवेदनहीनता एक बार फिर सामने आ गई है। जिन लोगों के घर तबाह हो गए थे, उन्हें सिर ढकने के लिए तिरपाल तक नहीं मिले। मजबूर ग्रामीण कड़ाके की ठंड में भी दूसरों के घर आसरा लिए हैं।

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हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले से सटे उत्तरकाशी जिले में मोरी ब्लॉक के सुदूरवर्ती गांव फिताड़ी में बीती जनवरी में अग्निकांड से चार परिवारों के आवासीय भवन और कोठार जलकर राख हो गए थे। फौरी तौर पर प्रशासन ने परिवारों को 2700 रुपये दिए, लेकिन उसके बाद पलट कर भी पीड़ितों की सुध तक नहीं ली। हालत यह है कि अग्निकांड पीड़ित परिवारों के पास घटना के चार माह बाद भी सिर छिपाने को टेंट तक नसीब नहीं हुए हैं। वहीं प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा अभी तक पीड़ितों का हाल जानने नहीं पहुंचा है। अब ये परिवार गांव में दूसरों के यहां शरण लेकर किसी तरह अपने दिन काट रहे हैं। सबकुछ राख होने के बाद उन्हें समझ नहीं आ रहा कि जिंदगी कहां से शुरू की जाए। इसी सोच में वे पूरे दिन राख के ढेर में तब्दील हुए अपने मकानों को ताकते रहते हैं। इन परिवारों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो गई है और खेती के लिए भी औजार तक नहीं बचे हैं। गरीबी के चलते कोई भी पीड़ित परिवार अपने लिए कच्ची झोपड़ी तक बनाने की स्थिति में नहीं है। पीड़ित परिवारों के मुखिया रणवेद सिंह, चंद्र सिंह, राघव सिंह व विदेश सिंह का कहना है कि आग से खाद्यान्न और कपड़े तक नहीं बचाए जा सके। लिहाजा अब हम लोग पाई पाई को मोहताज हो गए हैं। इस संबंध में मोरी के तहसीलदार खुशपाल सिंह रावत ने बताया कि पीड़ित परिवारों को इंदिरा आवास योजना के तहत भवन की सहायता उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया की जा रही है और इसके लए जिला प्रशासन से पत्राचार किया जा रहा है।


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