समारोह में लोकगीतों ने बांधा समा
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : राजकीय महाविद्यालय के छात्रसंघ समारोह का मंगलवार को रंगारंग आगाज हुआ। स
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : राजकीय महाविद्यालय के छात्रसंघ समारोह का मंगलवार को रंगारंग आगाज हुआ। समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने किया। उन्होंने छात्र-छात्राओं से सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया।
मंगलवार को राजकीय महाविद्यालय परिसर में पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार सांसद ने दीप प्रज्ज्वलित कर छात्र संघ वार्षिक समारोह का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि छात्रों में असीमित ऊर्जा होती है जिसका समाज हित में सकारात्मक उपयोग किया जाना चाहिए। मुख्य अतिथि के संबोधन से पूर्व वार्षिक समारोह की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां सरस्वती वंदना के साथ शुरू हुआ। इसके बाद महाविद्यालय के छात्र छात्राओं ने संजय पंवार व सोनाली बिष्ट के नेतृत्व में लोकगीतों की प्रस्तुति से समां बांध दिया। वार्षिक समारोह के तहत पहले दिन विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। निबंध प्रतियोगिता में रीना प्रथम, पवनेश द्वितीय व दामिनी तृतीय स्थान पर रही। पोस्टर प्रतियोगिता में मुकुल बडोनी प्रथम, रामवीर द्वितीय व प्रभावती तृतीय स्थान पर रही। मेंहदी प्रतियोगिता में काजल प्रथम, सुरभि द्वितीय व मधु रावत तृतीय रही। पुष्प सज्जा प्रतियोगिता में अर्चना पयाल प्रथम व प्रभावती द्वितीय रही। रंगोली प्रतियोगिता में काजल प्रथम, मुकुल बडोनी द्वितीय व आरती चंद और अनामिका संयुक्त रूप से तृतीय स्थान पर रही। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. केएल मालगुड़ी, पूर्व विधायक गोपाल रावत, डॉ.रवि रावत, डीएस नेगी, महेंद्र पाल परमार, सुरेश ममगांई, राखी पंचोला समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
राज्य सरकार पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
उत्तरकाशी : छात्र संघ समारोह का उद्घाटन करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने उत्तरकाशी में बाढ़ सुरक्षा कार्यो की धीमी गति समेत अन्य मुद्दों पर राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि बाढ़ सुरक्षा कार्य समय पर शुरू होते तो लोगों को अगली बरसात की चिंता नहीं होती। सरकार की कार्यशैली को कमजोर बताते हुए उन्होंने कहा कि निर्माणाधीन पुलों के टूटने का मामला हो या फिर बाढ़ सुरक्षा कार्यो में हो रही गड़बड़ी हो, सरकार ने किसी पर भी जिम्मेदारी तय नहीं कर पा रही है। इससे साबित होता है कि सरकार का तंत्र कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार को रोकने की बजाय उसमें संलिप्त हो रहा है।