टूरिस्ट लिखी बस पर ढो रहे स्कूली बच्चे
जागरण प्रतिनिधि, रायवाला: कहने को स्कूली बसों के परिचालन के लिए अलग से कायदे कानून बने हैं, ताकि मास
जागरण प्रतिनिधि, रायवाला: कहने को स्कूली बसों के परिचालन के लिए अलग से कायदे कानून बने हैं, ताकि मासूम बच्चों का सफर सुरक्षित हो। लेकिन नियमों का कितना पालन हो रहा है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि बिना कागजात और टूरिस्ट लिखी बस से भी स्कूली बच्चे ढोए जा रहे हैं।
मोटा मुनाफा कमाने के फेर में पब्लिक स्कूल गांव ही नहीं गलियों व घर-घर से बच्चों को स्कूल तक लाने व ले जाने का जिम्मा उठा रहे हैं। लेकिन इसमें परिवहन नियमों का जिस तरह मजाक बनाया जा रहा है, उससे किसी बड़ी अनहोनी से इन्कार नहीं किया जा सकता। नियमानुसार हर बस का रंग पीला होना जरूरी है। बस पर स्कूल के नाम के साथ इनके पीछे व आगे निर्देश लिखे होने जरूरी हैं। पीछे की तरफ संकेतक व बच्चे उतर रहे हैं लिखा होना बेहद जरूरी है। बस में सुरक्षा के सभी मानक जैसे फायर सयंत्र, फर्स्ट एड बॉक्स व खिड़की में जाली लगी होनी भी जरूरी हैं। निर्धारित संख्या से अधिक बच्चे भी नहीं बैठाए जा सकते हैं, लेकिन इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। बुधवार को हरिद्वार रोड पर चेकिंग के दौरान एआरटीओ ने आनंदममयी मेमोरियल स्कूल की एक ऐसी ही बस सीज की, जिसमें स्कूल बस की जगह टूरिस्ट बस लिखा हुआ था। चालक के पास न तो इसके परिवहन संबंधी कागज उपलब्ध थे और न ही बस में सुरक्षा मानक पूरे थे। यह हालत केवल एक ही स्कूल के बस में नहीं, बल्कि अन्य में भी है। परिवहन अधिकारी ने बस के अतिरिक्त पांच अन्य ऐसे वाहन सीज किए जो नियम विरुद्ध सड़क पर दौड़ रहे थे।
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परिवहन नियमों का उल्लघंन कर सड़क पर चल रहे वाहनों की चैकिंग की गई और इस दौरान दस वाहन सीज किए गए। इनमें एक स्कूल बस भी शामिल है। यह बस पर्वतीय मार्ग के लिए वैद्य थी। स्कूल बसों को लेकर आगे भी चेकिंग की जाएगी।
-एके जायसवाल, एआरटीओ, ऋषिकेश