पहले आपदा अब वन भूमि बाधा
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : आपदा में बाद अलग थलग पड़े सांवरी और सतूड़ी गांव के लिए अब गोविंद वन्य पशु वि
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : आपदा में बाद अलग थलग पड़े सांवरी और सतूड़ी गांव के लिए अब गोविंद वन्य पशु विहार ने मुसीबत खड़ी कर दी है। गांव को जोड़ने के लिए बन रहा पुल वन भूमि के फेर में फंसा हुआ है, इससे इसका निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है। वहीं ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर रुपीन नदी को पार कर जखोल तक पहुंचना पड़ रहा है।
मोरी प्रखंड के सांवली और सतूड़ी गांवों को जोड़ने वाला पुल वर्ष 2012 में रुपीन नदी में आए उफान से बह गया था। इसके बाद से ग्रामीणों को मुख्य बाजार जखोल तक पहुंचने के लिए जान जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड़ रही है। ग्रामीणों ने यहां एक अस्थाई कच्ची पुलिया बनाई थी, लेकिन वर्ष 2013 में उफान में वह भी बह गई। लिहाजा अब ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ रही है। नदी का जलस्तर बढ़ने पर ग्रामीणों के लिए नदी पार करना बेहद मुश्किल हो जाता है। हालांकि ग्रामीणों की आवाजाही के लिए यहां झूला पुल भी वर्ष 2013 में स्वीकृत हो चुका था। पांच करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस पुल का निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है। यह क्षेत्र गोविंद वन्य पशु विहार क्षेत्र के अंतर्गत आता है। लिहाजा यहां भारी निर्माण कार्य प्रतिबंद्धित है। लिहाजा यहां भी निर्माण कार्य वन भूमि के फेर में फंस गया है।
'पुल का निर्माण पार्क क्षेत्र में हो रहा है लिहाजा क्लियरेंस जरूरी है, इस पुल का निर्माण कार्यदायी संस्था को वन विभाग के साथ मिलकर करना होगा इसके लिए संयुक्त पंजीकरण की प्रक्रिया की जाएगी, फिलहाल कंपनी की ओर से प्रस्ताव आया है।
जीएस रावत, रेंज अधिकारी, गोविंद वन्य पशु विहार।
'हमने प्रस्ताव भेजा है कि ग्रामीणों की मुसीबतों के मद्देनजर यहां क्लियरेंस दिया जाए, लेकिन वन विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है, फिलहाल प्रस्ताव भेजा गया है जिस पर जल्द फैसला होगा। आलोक कुमार, परियोजना प्रबंधक, एनबीसीसी।