बर्फबारी से निपटने की तैयारी शून्य
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: शीतकाल में उपला टकनौर समेत जिले के ऊंचाई वाले गांव बर्फ से ढक जाते हैं। बर्
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: शीतकाल में उपला टकनौर समेत जिले के ऊंचाई वाले गांव बर्फ से ढक जाते हैं। बर्फबारी शुरू होते ही जिले के चालीस गांव की तीन हजार से भी ज्यादा आबादी की कैद हो जाती है। लिहाजा इन गांवों के ग्रामीण बर्फबारी से पहले ही जरूरी वस्तुएं जुटाने में जुट गए हैं। हर साल ग्रामीण जरूरी वस्तु जुटाने के मांग सरकार से करते हैं, लेकिन प्रशासन हमेशा की भांति इस बार भी खाद्यान्न समेत जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति को लेकर संजीदा नहीं है।
हर साल दिसंबर महीने में जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी शुरू हो जाती है। बर्फबारी से इन इलाकों में बसे गांवों में सड़क मार्ग बाधित हो जाते हैं। लिहाजा इन गांवों में मार्च तक ना तो वाहनों की आवाजाही हो पाती है ना हीं खाद्यान्न समेत रोजमर्रा की जरूरतों का सामान पहुंच पाता है, लेकिन प्रशासन ने अब तक इन इलाकों की सुध लेने की कोशिश नहीं की है।
चार महीने तक अंधेरे में कटती रात
बर्फबारी शुरू होते ही इन गांवों में बिजली आपूर्ति भी ठप पड़ जाती है। गंगा घाटी के हिस्से को अब तक ग्रिड से ना जुड़ने से शीतकाल के दौरान यहां आठ गांवों में विद्युत आपूर्ति ठप पड़ जाती है। वहीं बड़कोट और पुरोला के गांवों में भी बर्फबारी से लाइनों को नुकसान पहुंचने से यहां चार से पांच महीने तक अंधेरा पसर जाता है। बीते सालों के अनुभवों के आधार पर देखा जाए तो कड़ाके की ठंड में ग्रामीणों की रातें अंधेरे में गुजरी हैं।
शीतकाल में अगल थलग पड़ने वाले गांव
भागीरथी घाटी
- हर्षिल, धराली, मुखबा, जसपुर, पुराली, छोलमी, सुक्की, झाला।
यमुनाघाटी के गांव
-खरसाली, बीफ, कुठार, दागुड़, निसड़ी, कुपड़ा, सरनौल, बसराली, डिगाड़ी, पौंटी, सरगांव, रौल, किमढार, न्यूताड़ी, गौल, कासलौं।
पुरोला मोरी क्षेत्र
लिवाड़ी, फिताड़ी, राला, कासला, खन्ना, ग्वाल गांव, ओसला, गंगाड़, ढाटमीर, बरी, चेवा, पुजेली, खन्यासणी, तालुका।
'पूर्ति विभाग को इन गांवों में रसद आपूर्ति के निर्देश दे दिए जाएंगे, बर्फबारी से पहले सभी गांवों में अतिरिक्त रसद समय से आपूर्ति सुनिश्चित करवाई जाएगी, बिजली, पानी की आपूर्ति भी बनाए रखने को संबंधित विभागों को निर्देश दिए जाएंगे।
सी. रविशंकर, जिलाधिकारी उत्तरकाशी।