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शीतकालीन यात्रा पर संशय

संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : शनिवार को खरसाली गांव में भले ही शीतकालीन यात्रा का आधिकारिक रूप से शु

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 07:08 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 07:08 PM (IST)
शीतकालीन यात्रा पर संशय

संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी :

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शनिवार को खरसाली गांव में भले ही शीतकालीन यात्रा का आधिकारिक रूप से शुभारंभ किया गया हो, लेकिन खरसाली तक श्रद्धालुओं के पहुंचने की राह बिल्कुल भी आसान नहीं है। ऐसे में शीतकाल के दौरान यात्रियों का पड़ाव तक पहुंचना बड़ी चुनौती साबित होगा।

यमुना के शीतकालीन पड़ाव खरसाली तक पहुंचने के लिए बड़कोट से लेकर खरसाली तक 55 किमी की दूरी बेहद खतरों से भरी है। जानकीचट्टी से खरसाली की दस किमी लंबी सड़क फिलहाल बेहद जोखिमभरी है। यहां लंबे समय से सड़क डामरीकरण का इंतजार कर रही है। सड़क पर जानकीचट्टी से खरसाली तक बड़े वाहनों की आवाजाही नामुमकिन है। यहां भारी जोखिम के साथ केवल छोटे वाहनों से आवाजाही की जा सकती है, जबकि बड़कोट से जानकीचट्टी तक भी खतरे कम नहीं है। बड़कोट से महज दस किमी दूर स्थित खरादी पूरा कस्बा यमुना के कटाव की चपेट में है। यहां हाईवे का ज्यादातर हिस्सा यमुना नदी में समा चुका है। फिलहाल यहां कच्ची सड़क काटकर ही आवाजाही बहाल की हुई है। तो वहीं वाडिया में लगातार गिरते पत्थर और नीचे गहरी खाई के बीच वाहन गुजारना मौके के मुंह में जाने जैसा है। यहां सड़क की स्थिति बेहद खराब है साथ ही पहाड़ी की ओर से लगातार गिरते पत्थर अब तक कई लोगों की जान भी ले चुके हैं। वहीं हनुमानचट्टी, नारदचट्टी समेत दर्जनभर से भी ज्यादा हिस्सों में हाईवे एक पंगडंडी जैसी बनी हुई है।

बर्फबारी भी बनेगी चुनौती

उत्तरकाशी : खरसाली तक पहुंचने में अब शीतकाल में बर्फबारी भी बड़ी चुनौती बनेगी। खरसाली में नवंबर महीने के दूसरे पखवाड़े की शुरूआत से ही बर्फबारी शुरू हो जाती है। दिसंबर जनवरी तक यहां भारी बर्फबारी होती रहती है। लिहाजा इन दिनों यहां सफर करना आसान ना होगा।

आवासीय व्यवस्था भी चुनौती

उत्तरकाशी : खरसाली में मां यमुना के शीतकाल के दौरान दर्शन करने जाने वाले यात्रियों को आवासीय समस्या से भी जूझना होगा। खरसाली गांव में तो फिलहाल आवास की कोई व्यवस्था नहीं लेकिन खरसाली से दस किमी दूर स्थित और यमुनोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव जानकीचट्टी में आवास की समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यात्रियों को दर्शन कर वापिस बड़कोट या खरादी तक के चक्कर काटने पड़ सकते हैं।

'शीतकाल के दौरान सभी व्यवस्था चाक चौबंद रखने के संबंधित विभाग को निर्देश दिए गए हैं, यात्रियों को कोई असुविधा ना हो इसके लिए प्रशासन सभी तैयारियां कर चुका है, शीतकाल के दौरान यात्रियों के यात्रा आसान करना प्रशासन की प्राथमिकता है। सी. रविशंकर, जिलाधिकारी उत्तरकाशी।


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