बिना गुरु के पढ़ रहे इंजीयिरिंग
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : जनपद में तकनीकी शिक्षा हवा में झूल रही है। चार पॉलीटेक्निक संस्थानों की
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : जनपद में तकनीकी शिक्षा हवा में झूल रही है। चार पॉलीटेक्निक संस्थानों की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतरी हुई है। स्थिति यह है कि संस्थानों में शिक्षकों की कमी के कारण छात्र खुद ही कोर्स निपटाकर परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे हैं। जिसके चलते छात्र-छात्राओं को अतिरिक्त दबाव झेलना पड़ रहा है।
जिला मुख्यालय स्थित राजकीय पॉलीटेक्निक जनपद का सबसे पुराना तकनीकी शिक्षण संस्थान है। भवन, लैब व शिक्षकों की पूरी व्यवस्थाओं के साथ शुरू हुआ यह संस्थान बीते एक दशक से बदहाल है। संस्थान का मुख्य भवन व छात्रावास पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। जबकि संस्थान में शिक्षको की भी लंबे समय से कमी बनी हुई है। संस्थान में सिविल, इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स विभागाध्यक्ष के पांच पदों के स्थान पर एक ही कार्यरत है। लेक्चरर के 17 पदों में से पांच पर ही स्थायी लेक्चरर हैं। 10 संविदा शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है। यही स्थिति राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थान बड़कोट की है। जहां संस्थान का भवन तैयार नहीं हो सका है। लिहाजा पॉलीटेक्निक की कक्षाएं इंटर कॉलेज के दो कक्षों में संचालित हो रही हैं। इस संस्थान में फिलहाल सिविल इंजीनियरिंग व आइटी ट्रेड ही स्वीकृत हो सके हैं। वहीं चिन्यालीसौड़ में इसी वर्ष से पॉलीटेक्निक संस्थान शुरू हुआ है। जहां सिविल इंजीनियरिंग ट्रेड स्वीकृत हुई है। यह संस्थान भी फिलहाल पीपलमंडी में किराए के भवन में संचालित हो रहा है। जहां कक्षों के साथ ही लैब व अन्य स्टाफ की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ऐसे में इस संस्थान के छात्रों को प्रयोगात्मक कक्षाओं के लिए उत्तरकाशी स्थिति पॉलीटेक्निक का रुख करना पड़ता है। यही स्थिति इसी साल धनारी क्षेत्र के पिपली में शुरू हुए पॉलीटेक्निक की भी है। जहां इलेक्ट्रिकल ट्रेड स्वीकृत होने के बाद प्रवेश भी हो गए। पर शिक्षकों का इंतजार अब भी है।
पॉलीटेक्निक में रिक्त पदों को लेकर शासन को मांग भेजी गई है। जनपद के अन्य पॉलीटेक्निकों में भी उत्तरकाशी स्थिति संस्थान से शिक्षकों व व्यवस्थापकों की व्यवस्था हुई है। -उमेश प्रसाद, प्रधानाचार्य
राजकीय पॉलीटेक्निक उत्तरकाशी