सुषमा ने पहुंचाया सावित्री का संदेश
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : स्त्री शिक्षा पर आधारित नाटक 'हां मैं सावित्रीबाई फुले हूं' दर्शकों तक
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : स्त्री शिक्षा पर आधारित नाटक 'हां मैं सावित्रीबाई फुले हूं' दर्शकों तक अपना संदेश पहुंचाने में सफल रहा। नाटक की खास बात यह थी कि वरिष्ठ रंगकर्मी सुषमा देशपांडे ने इसकी एकल प्रस्तुति दी। वे नाटक में एकमात्र कलाकार रही, जबकि नाटक की लेखक व निर्देशक भी वे स्वयं हैं।
राजकीय इंटर कॉलेज के सुमन सभागार में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से स्त्री शिक्षा के मुद्दे पर आयोजित नाटक दर्शकों को झकझोर गया। सुषमा देशपांडे ने मंच पर सावित्री बाई फुले के मुख्य किरदार के इर्द गिर्द कई और किरदारों को जिया। इसमें सावित्री के पति ज्योतिराव फुले, ससुर, पुत्र यशवंता, गजानन सहित करीब दस अन्य छोटे मोटे पात्रों को मंच पर प्रस्तुत किया गया। नाटक में महाराष्ट्र के पुणे में अपने पति के प्रोत्साहन से एक अनपढ़ महिला सावित्री बाई फुले शिक्षिका बन जाती है। सुबह पाठशाला में पढ़ाने वाली सावित्री रात को खुद पढ़ती थी, लेकिन उस समय के समाज को यह कतई मंजूर नहीं था। स्त्री शिक्षा का बीजारोपण हो चुका था, लिहाजा सावित्री नहीं रुकी और अपने पति के साथ मिलकर कमजोर तबके की महिलाओं को शिक्षित बनाने के काम में लगी रही। इसके लिए पति और उन्हें अपना घर भी छोड़ना पड़ा। सेवा के लिए एक आश्रम ने आकार लिया और पति पत्नी समाज की सेवा करते हुए ही संसार से विदा हुए। नाटक में सावित्री आज के लोगों से रूबरू होते हुए सवाल करती है कि आखिर महिलाओं की स्थिति सौ साल में भी नहीं बदल सकी? कार्यक्रम के बाद सुषमा देशपांडे ने बताया कि वे पिछले पच्चीस सालों से इस नाटक का मंचन कर रही हैं और तीन हजार से ज्यादा प्रस्तुतियां दे चुकी हैं। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से रविवार को बड़कोट व सोमवार को को पुरोला में इस नाटक का मंचन किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी लीलाधर व्यास, बीईओ हर्षा रावत, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के जगमोहन कठैत, संजय सेमवाल, प्रमोद पैन्यूली सहित अनेक लोग मौजूद रहे।