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अब भी छत की दरकार

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : आपदा में घर गंवा चुके प्रभावितों को अब भी छत की दरकार है। सरकार के दावो

By Edited By: Published: Sun, 12 Oct 2014 03:22 AM (IST)Updated: Sat, 11 Oct 2014 08:33 PM (IST)
अब भी छत की दरकार

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : आपदा में घर गंवा चुके प्रभावितों को अब भी छत की दरकार है। सरकार के दावों के उलट अभी एक भी आपदा प्रभावित को छत नसीब नहीं हो सकी है। आपदा में आशियाने खोने वाले जिन परिवारों का आवास के लिए चयन हुआ है, उनके आवास भी नहीं बन सके हैं। लिहाजा फिलहाल आपदा प्रभावित परिवार किराये के भवनों या फिर अस्थायी ठिकानों में ही दिन गुजार रहे हैं।

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जिले में आपदा में घर गंवाने वाले 261 परिवारों का फेब्रीकेटेड भवन निर्माण के लिये चुना गया था। इसके तहत हर परिवार को भवन निर्माण के लिये पांच लाख रुपये की धनराशि चार किश्तों में देने का प्रावधान है। पहली किश्त में डेढ़ लाख रुपए, दूसरी में दो लाख व तीसरी में एक लाख और चौथी किश्त पचास हजार रुपये की है। इन भवनों के निर्माण की पूरी मॉनिटरिंग एक संस्था से कराई जा रही है। जो इन भवनों के भूकंपरोधी होने व सुरक्षित स्थान पर बनाने को लेकर जिम्मेदार भी है, लेकिन इन 261 परिवारों में अभी किसी को भी तीसरी किश्त जारी नहीं हो सकी है। अभी 245 को पहली, 129 को दूसरी किश्त जारी हुई है। जबकि तीसरी किश्त के लिए तीस परिवारों के भवनों में भूकंरोधी तकनीक के परीक्षण को लोनिवि को सूची भेजी गई है। एक माह से अधिक समय बीतने पर भी लोनिवि ने इन भवनों का परीक्षण नहीं कराया है। जबकि इस परीक्षण के बाद ही तीसरी किश्त जारी हो सकती है। इसी योजना के तहत 45 और प्रभावितों का चयन कर उनकी सूची भी शासन को भेजी गई है। ऐसे में आपदा के एक साल पांच माह बीतने पर भी प्रभावित परिवार अस्थायी ठिकानों में अपना समय गुजार रहे हैं। जल विद्युत निगम की कॉलोनियों के साथ ही उत्तरकाशी, जोशियाड़ा, ज्ञानसू आदि जगहों पर ये परिवार अस्थायी जिंदगी जी रहे हैं। वहीं कलक्ट्रेट के चक्कर काटते हुये प्रभावितों का काफी समय भी जाया हो रहा है।

'अभी मुझे घर बनाने के लिये दो किश्तें ही मिली हैं, अगली किश्त के लिए कलक्ट्रेट के ई चक्कर काट दिए, इस धीमि गति के कारण भवन काम कई दिनों तक बंद भी करना पड़ रहा है, इससे उसकी लागत बढ़ रही है।

पारेश्वर प्रसाद सेमवाल, लदाड़ी

'सरकार ने जैसे दावे किए थे उस तरह से मदद नहीं की जा रही है, लंबे समय तक जमीन केक मामले में उलझाए रखने के बाद नए घर के निर्माण की राह भी आसान नहीं है, ऐसे में हमारे हालात और खराब होते जा रहे हैं।

कमल सिंह असवाल, जोशियाड़ा

'पुनर्वास योजना के तहत प्रभावितों के भवन निर्माण की पूरी मॉनीटरिंग की जा रही है, कुछ मामलों में देरी को छोड़कर प्रशासन अपनी ओर से सभी प्रभावितों के भवन शीघ्र तैयार करवाने की कोशिश में है।

बीके मिश्रा, एडीएम, उत्तरकाशी।


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