आपदा से मछली पालन को झटका
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: जिले में मछली पालन की योजनाओं को आपदाओं से बड़ा झटका लगा है। गंगोरी में मत्स्य प्रजजन केंद्र में जिन तालाबों में मछली के बीज विकसित किए जा रहे थे वे बीते साल आपदा की भेंट चढ़ गए। ट्राउट मछली के लिए प्रसिद्ध असी गंगा घाटी में भी 2012 में आई बाढ़ से ट्राउट का नामोनिशान मिट गया। वहीं कल्डियाणी में ट्राउट प्रजजन केंद्र भी आपदा की भेंट चढ़ गया था।
जनपद में मत्स्य विभाग आपदाओं के आगे पूरी तरह लाचार नजर आ रहा है। लगातार दो आपदाओं ने मत्स्य प्रजनन केंद्रों को तबाह कर दिया। जिले में वर्ष 2007 से अब तक मत्स्य पालन योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में 167 तालाब तैयार किए गए हैं। लेकिन, गंगोरी स्थित मत्स्य प्रजनन परिक्षेत्र के तालाब ध्वस्त होने के कारण इस योजना के संचालन में दिक्कतें आ रही हैं। पहले जहां हर साल दो लाख मत्स्य बीज तैयार होता था, इस वर्ष महज एक लाख ही हो सका है। इसके चलते अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए विभाग चमोली जनपद के बैरांगना स्थित मत्स्य प्रजनन परिक्षेत्र पर निर्भर होकर रह गया है।
वहीं वर्ष 2012 में असीगंगा की बाढ़ में कल्डियाणी स्थित ट्राउट प्रजनन केंद्र के ध्वस्त होने से बड़ा नुकसान हुआ है। इस केंद्र पर संकटग्रस्त ट्राउट मछली के बीज तैयार कर असीगंगा नदी में डाले जाते थे। यह प्रक्रिया नदी की पारिस्थितिकी के लिए काफी महत्वपूर्ण थी। वहीं यहां से ट्राउट के बीज इच्छुक उत्पादकों को भी वितरित किए जाते थे। लेकिन यह केंद्र बाढ़ से इस कदर ध्वस्त हुआ कि दोबारा किसी काम का नहीं रह गया।
विभाग ने कल्डियाणी केंद्र के नुकसान का तीन करोड़ 26 लाख रुपये और गंगोरी मत्स्य परिक्षेत्र का 67 लाख रुपये के नुकसान का आंकलन तैयार कर शासन को भेज दिया है। अभी तक इन केंद्रों को दोबारा से तैयार करने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।
असीगंगा से गायब हुई ट्राउट
वर्ष 2012 की बाढ़ के बाद चमोली के बैरांगना से ट्राउट मछली के बीज लाकर असीगंगा नदी में डाले गए थे। लेकिन वर्ष 2013 की जून माह में आई बाढ़ ने एक बार फिर नदी की परिस्थितिकी को पूरी तरह बदल डाला। अब नदी से ट्राउट मछली पूरी तरह गायब हो चुकी है। हालांकि नदी के उद्गम डोडीताल में ब्राउन और गोल्डन दोनों तरह की ट्राउट मछलियां मौजूद हैं।
आपदा से हुए नुकसान के आधार पर दोनों केंद्रों का आगणन तैयार कर शासन को भेजा गया है। फिलहाल मत्स्य पालन योजना के संचालन में दिक्कतें आ रही हैं। चमोली जनपद के बैरांगना केंद्र पर ही पूरी निर्भरता बनी हुई है।
राजेंद्र लाल, जिला मत्स्य विकास अधिकारी।