दो साल से पसरा सन्नाटा टूटा कालिंदी सफर सफल
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : कालिंदी ट्रैक पर बीते दो साल से पसरा सन्नाटा टूट गया है। दिल्ली के दो सदस्यीय दल पंद्रह अगस्त को गंगोत्री से कालिंदी ट्रैक पर एक गाइड व चार पोर्टरों के साथ रवाना हुआ और अगस्त माह के अंत में पूरा कर लिया। पूरा दल घस्तोली होते हुए 27 अगस्त को सुरक्षित बदरीनाथ पहुंच गया।
चर्चित कालिंदी पास ट्रैक पर बीते दो साल से रोमांच के शौकीन पर्यटकों की आवाजाही नहीं हो रही थी। पूर्व में हुई दुर्घटनाओं और कम अनुभव के कारण इन हादसों के चलते कालिंदी पास ट्रैक को जोखिम वाला माना जाने लगा था। गंगोत्री से बदरीनाथ तक करीब बारह दिनों का यह ट्रैक बर्फीले चट्टानों से होकर गुजरता है। इनमें कालिंदी पास सबसे ऊंचा स्थान यानी समुद्रतल से पांच हजार मीटर है। इसके चलते इस ट्रैक पर विशेषज्ञ गाइड व पोर्टर के बूते ही सफर किया जा सकता है। बीते दो साल में इस ट्रैक पर जाने वाले सभी दलों को वापस लौटना पड़ा। इस पूरे ट्रैक में वासुकीताल, सीता ग्लेशियर व कालिंदी पास सबसे खतरनाक स्थान हैं। इस बार दिल्ली के दो युवाओं अर्नब सिंह व सिद्धार्थ कुमार ने इस ट्रैक को पूरा कर लिया। उनके साथ उत्तरकाशी की मानसरोवर ट्रैकिंग एजेंसी के गाइड अतर सिंह राणा समेत पोर्टर मनोहर, उत्तम, रतन व भरत भी शामिल थे। दल के सदस्यों ने बताया कि पूरे ट्रैक में कुछ जगहों पर परेशानी हुई, लेकिन गाइड के अनुभव और ज्यादा जोखिम न उठाने के कारण सफर पूरा हो गया। यह दल पंद्रह अगस्त को गंगोत्री से रवाना हुआ था। वहीं इन दिनों व्हेअर ईगल्स डेयर एजेंसी का एक और छह सदस्यीय दल भी कालिंदी पास ट्रैक के लिये रवाना हो गया है।