ट्रॉली के इंतजार में कई गांव
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : नाल्ड कठूड़ पट्टी के गांवों में नगदी फसलों का उत्पादन तो बंपर होता है, लेकिन सड़कों से दूर इन गांवों के ग्रामीणों को सड़क तक फसल पहुंचाने में काफी भाड़ा चुकाना पड़ता है। ऐसे में इन गांवों को मालवाहक ट्राली से जोड़ने के बाद ग्रामीणों को महंगे भाड़े से मुक्ति मिल सकती है।
भटवाड़ी प्रखंड के नाल्ड कठूड़ पट्टी के गांवों को लंबे इंतजार के बाद सड़क तो दूर फसलों की ढुलान को अब तक एक अदद ट्राली भी नहीं मिल सकी है। नाल्ड कठूड़ पट्टी के सभी गांव सड़क से बेहद दूर बसे हुए हैं। इस हिस्से में नगदी फसलों का बंपर उत्पादन होता है साथ ही सीजनल सब्जियों की उत्पादन की भी अपार संभावनाएं है। गांव से सड़क तक ढुलान करने में ग्रामीणों को इतनी रकम चुकानी पड़ती है कि साल भर जी तोड़ मेहनत कर उगाई फसलों का कोई खास फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। नाल्ड कठूड़ के हुर्री, सालंग, सिल्ला, पिलंग, जौड़ाव, सारी, सौरा, स्यावा, सालू, लौंथ्रू, डिडसारी, बायणा, कामर, जामक गांवों में ककड़ी का बंपर उत्पादन होता है। अगस्त महीने के पहले पखवाड़े में आने वाली इस फसल को सड़क तक पहुंचाना भी ग्रामीणों के लिए कम जोखिम भरा काम नहीं होता। नाल्ड कठूड़ पट्टी के इन सभी गांवों की दूरी सड़क मार्ग से पांच किमी से 18 किमी तक है। लिहाजा खच्चरों के जरिये ही फसल को सड़क तक पहुंचाया जाता है। ककड़ी की फसल बेहद नाजुक होती है। ऐसे में बोरों में भरकर छह से सात किमी तक खच्चरों केऊपर लादकर सड़क तक पहुंचाने में फसल को भारी नुकसान पहुंचता है। इसका भाड़ा भी बेहद महंगा बैठता है। लिहाजा बाजार में चालीस से साठ रुपये प्रति किलो बिकने वाली ककड़ी का ग्रामीणों को दो से तीन रुपये प्रति किलो ही बच पाता है। लिहाजा बेहद संवेदनशीलता से उगाई गई इस फसल पर की गई मेहनत का हर्जाना भी ग्रामीणों के लिए निकालना मुश्किल हो जाता है। यही हाल आलू की फसल का भी है। आमतौर पर एक हजार रुपये प्रति कुंतल की दर से बिकने वाले आलू पर ग्रामीणों को सात सौ रुपये खच्चरों के भाड़े के रूप में चुकाने पड़ते है। लिहाजा बाजार में दाम अच्छे भी मिले, लेकिन इन ग्रामीणों के हिस्से कुछ खास नहीं लग पाता। ऐसे में मालवाहक ट्राली की स्थापना के बाद इन गांवों से फसलों को आसानी से सड़क तक पहुंचाया जा सकता है। इससे किसानों को भी अपनी उपज का बड़ा हिस्सा भाड़े के रूप में नहीं चुकाना पड़ेगा।
विभागीय स्तर पर इन गांवों को मालवाहक ट्राली से जोड़ने की योजना पर काम किया जा रहा है। इन ट्रालियों का लगना किसानों के लिए बेहद फायदेमंद होगा लिहाजा विभाग इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
सुरेश राम, प्रभारी उद्यान अधिकारी, उत्तरकाशी