बढ़ी किसानों की मुसीबतें
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : बारिश से दरकती सड़कों ने किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी है। बाजार में सब्जियों की अच्छे दाम मिल रहे हैं। किसान बंद सड़कों के चलते अपनी उपज बाजार नहीं पहुंचा पा रहा है।
एक हजार रुपये प्रति कुंतल की दर से बिकने वाले आलू के लिए खरीददार पंद्रह सौ से दो हजार रुपये तक चुकाने को तैयार है, लेकिन बाजार में आलू पहुंच नहीं रहा। खेतों में आलू की फसल तैयार है। बंद सड़कों के चलते किसान आलू की फसल बाजार तक नहीं पहुंचा रहे हैं।
लंबगांव मोटर मार्ग बीते एक पखवाड़े से बंद पड़ा हुआ है। इस मोटर मार्ग से ही मुस्टिकसौड़, मानपुर, किशनपुर, गिंडा समेत बीस से ज्यादा गांव जुड़े है जहां से आलू की फसल इन दिनों बाजार में पहुंचनी शुरू हो जाती है। कुटेटी के समीप सड़क का बड़ा हिस्सा ध्वस्त होने के बाद इन गांवों के आलू बाजार में नहीं पहुंच पा रहे। लिहाजा ज्यादातर आलू की फसल या तो खेतों में सड़ रही है या फिर बोरों में ही बू मारने लगी है। यही हाल भागीरथी घाटी का भी है। यहां भी बीते दो महीनों से नेताला, लालढांग, मल्ला के समीप हाईवे लगातार बंद हो रहा है। नेताला दकरते हाईवे के चलते यहां वाहनों की आवाजाही बेहद मुश्किल तो बनी हुई है साथ ही दलदल के चलते पैदल आवाजाही भी आसान नहीं है। लिहाजा मनेरी, लाटा, मल्ला, सिल्ला, सौरा, रैथल, गोरसाली, बार्सू, द्वारी, पाही, सालंग समेत तीस से भी ज्यादा गांवों का आलू बाजार नहीं पहुंच पा रहा है। बंद सड़कों के चलते खेतों में सड़ रहा आलू लोगों के बजट पर भी भारी पड़ रहा है। सबसे सस्ती सब्जियों में शुमार आलू पच्चीस से तीस रुपए प्रति किलो की दर से मंडियों में बिक रहा है।
'आलू की फसल के अच्छे दाम मिलने के बावजूद भी हम लोग लाचार हैं, सड़के खुले तो जल्द ही फसलें बाजार पहुंच सकेंगी। विजय सिंह, काश्तकार।