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भागीरथी शांत, मूल स्थान पर लौटी

By Edited By: Published: Wed, 13 Aug 2014 06:15 PM (IST)Updated: Wed, 13 Aug 2014 06:15 PM (IST)
भागीरथी शांत, मूल स्थान पर लौटी

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : बीते सालों में तटवर्ती बस्तियों को जमींदोज कर चुकी भागीरथी की लहरों ने इस बार नुकसान नहीं पहुंचाया है। लगातार दो सालों तक कहर ढाने वाली लहरें अब चौड़ी हो चुकी नदी में सिमट गई हैं। इस बार भी नदी ने कई बार नदी खतरे के निशान तक पहुंची, लेकिन इस उफान से किसी तरह का खतरा पैदा नहीं हुआ।

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नदी तटों की बसावत पर अब प्रशासन को भी नजर रखनी होगी। भागीरथी के तटों पर लगातार विस्तार लेती आबादी और निर्माण कार्यो के कारण वर्ष 1012 व 2013 में आई बाढ़ विनाशकारी साबित हुई। इनमें डिडसारी, भटवाड़ी, जोशियाड़ा व तिलोथ जैसी बस्तिया पूरी तरह तबाह हो गई थी। 3 अगस्त वर्ष 2013 को असीगंगा व भागीरथी का उफान सबसे ज्यादा रहा। तब मनेरी भाली परियोजना के बैराज पर नदी का वाटर डिस्चार्ज यानी पानी की मात्रा 3387 क्यूमेक्स मापी गई थी। इसी दौरान भागीरथी में इतना मलबा आ गया था कि नदी का उत्तरकाशी नगर क्षेत्र से लेकर गंगोरी संगम तक दस मीटर तक उठ गया था। 17 जून 1013 को आई बाढ़ के समय पानी की मात्रा 1936 क्यूमेक्स मापी गई। पहले से कम पानी होने के बावजूद नदी के उठे हुये तक के कारण इस बार नुकसान का दायरा और ज्यादा बढ़ गया। वहीं बाढ़ के साथ बहकर आये मलबे ने नदी के तल को खतरनाक ढंग से ऊपर उठा दिया था। माना जा रहा था कि अगर नदी में मामूली बढ़ोत्तरी भी होगी तो वह तटवर्ती इलाकों को नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन इस बार 7 अगस्त को नदी में सर्वाधिक वाटर डिस्चार्ज 997 क्यूमेक्स मापा गया। तटवर्ती बस्तियों में किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा। इस बार नदी का तल बीते साल की तुलना में कहीं अधिक उठा हुआ था। जलस्तर से लिहाज से देखें तो इस बार भागीरथी ने कई बार 1123 मीटर के स्तर को छुआ। जो खतरे का स्तर है, इससे ऊपर 1125 मीटर उच्च बाढ़ तल है, लेकिन बीते दो सालों में नदी अपने किनारों को काटकर पूरी जगह ले चुकी है। पहले की तुलना में नदी अब सत्तर से डेढ़ सौ मीटर तक का चौड़ा स्पान बना चुकी है। इस कारण अब पानी बढ़ने के बावजूद तटों पर कटान नहीं हो रहा है। ऐसे में नदी तटों पर सुरक्षा कार्यो के साथ ही अतिक्रमण पर अंकुश लगाने की भी जरूरत बढ़ गई है।

नियमों की हो रही अनदेखी

उत्तरकाशी : गंगा भागीरथी के तटों से दो सौ मीटर की दूरी पर भवन निर्माण का नियम पहले से लागू है, लेकिन ऐसे नियमों का पालन करवाने में जिला प्रशासन ने हमेशा ढिलाई बरती है।

'सुरक्षा दीवार के निर्माण के बाद नदी तटों पर अतिक्रमण की गुंजाइश नहीं रहेगी, प्रशासन की ओर से ऐसे मामलों में सख्ती से कार्यवाही की जाएगी।

सी.रविशंकर, जिलाधिकारी।


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