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डोडीताल के अस्तित्व पर संकट

By Edited By: Published: Sat, 26 Jul 2014 09:05 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jul 2014 09:05 PM (IST)
डोडीताल के अस्तित्व पर संकट

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: नैसर्गिक सुंदरता के लिए मशहूर डोडीताल का आकार घट रहा है। लंबे समय से झील के एक ओर से दरक रहा पहाड़ इसका कारण है। इससे पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण इस झील के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं, असीगंगा के इस प्रमुख जलस्रोत में पैदा होने वाला खतरा बाढ़ का कारण भी बन सकता है।

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जिले में डोडीताल ऐसा पर्यटन स्थल हैं जहां गर्मियों के साथ ही बर्फ के सीजन में भी पर्यटकों की आवाजाही रहती है। उत्तरकाशी से संगमचट्टी तक मोटर मार्ग के बाद इस ताल के लिए 22 किमी का पैदल सफर है। पर्यटकों की लगातार आमद के चलते डोडीताल में वन विभाग ने इको टूरिज्म पर आधारित आवासीय व्यवस्था भी की है, लेकिन अब ताल की खूबसूरती पर ग्रहण लगने लगा है। वर्ष 2012 में हुई अतिवृष्टि में द्रवा टॉप पहाड़ी की ओर से जलप्रवाह के साथ आया भारी मलबा ताल पर फैल गया। इससे ताल की आठ सौ मीटर की परिधि 10 मीटर घट गई। वहीं, ताल के भीतर मलबा पसर गया। ताल के एक किनारे पर अब भी करीब 40 मीटर मलबे का ढेर है। इसमें भारी बोल्डर, पत्थर व टूटे हुए सैकड़ों पेड़ शामिल हैं। यह मलबा हर बारिश में बहकर ताल में समा रहा है। तेज बारिश की स्थिति में मलबा एक साथ ताल में आने का खतरा है। इससे असीगंगा में बाढ़ की स्थिति भी पैदा हो सकती है। वर्ष 2012 की बाढ़ का बड़ा कारण भी मलबे का एक साथ ताल में समाकर बड़ी मात्रा में पानी को नदी में धकेलना था। ऐसे में ताल के चारों ओर परिक्रमा करना भी आसान नहीं है। वहीं, ताल से निकलने वाली असीगंगा की एक जलधारा का स्वरूप बिगड़ गया है। हालांकि वन विभाग ने फिर से इसकी भरपाई की कोशिश की है, लेकिन इसमें काफी समय लगने के आसार हैं।

पर्यटकों की आमद कम

इस बार डोडीताल क्षेत्र में पर्यटकों की आमद काफी कम हुई है। इस साल अभी तक संगमचट्टी डोडीताल व दयारा डोडीताल ट्रैक पर महज सौ पर्यटक ही पहुंचे हैं, जबकि पिछले साल यह तादाद तीन सौ से अधिक थी। इस स्थिति के कारण ट्रैक पर अगोड़ा, बेवरा व माझी में बनी कैंपिंग साइट भी सूनी पड़ी हैं। वहीं, डोडीताल से यमुनोत्री ट्रैक पर इस बार एक ही पर्यटक दल पहुंचा।

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डोडीताल को अगस्त 2012 में काफी नुकसान पहुंचा है। वन विभाग की कैंपिंग साइट भी ताल से निकले जल प्रवाह में बह गई थी। अब इन सभी सुविधाओं को दोबारा से विकसित करने के साथ ही ताल के संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। - आशीष डिमरी, वन क्षेत्राधिकारी, बाड़ाहाट रेंज।

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