जेठ व सास को सात साल कैद
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: दहेज के लिए विवाहिता की हत्या के मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने जेठ व सास को सात-सात साल कारावास की सजा सुनाई है। विवाहिता की शादी के छह महीने बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। विवाहिता के मायके पक्ष ने ससुराल वालों पर दहेज के लिए हत्या करने का आरोप लगाते मुकदमा दर्ज कराया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार वर्ष 2009 में पांच अगस्त को कुंजन गांव निवासी भागवत सिंह ने नायब तहसीलदार भटवाड़ी को प्रार्थना पत्र देकर अपनी बहन गुड्डी के पति राकेश, जेठ प्रताप सिंह, जेठानी निर्मला, ननद ममता व सास चमना देवी निवासी स्याबा के खिलाफ दहेज के लिए उसकी बहन की हत्या करने का आरोप लगाया था। भागवत सिंह के मुताबिक 13 दिसंबर 2008 को गुड्डी का विवाह राकेश के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में हुआ था। विवाह के कुछ दिनों बाद ही गुड्डी के ससुराल वाले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे। भागवत सिंह ने बताया कि ससुराल वालों की मांग पूरी करने के लिए छह महीने के भीतर ही दो बार पैसा और सोने के जेवर दे चुका था। अगस्त 2009 में रक्षाबंधन के दिन भागवत सिंह और मनोज सिंह अपनी बहन गुड्डी से मिलने स्यावा गांव जा रहे थे, तभी गुड्डी के जेठ प्रताप सिंह ने बताया कि गुड्डी ने भागीरथी नदी में छलांग लगा दी और अब वह लापता है। गुड्डी का शव कुछ दिनों बाद चिन्यालीसौड़ में भागीरथी नदी में मिला था। मनेरी थाना पुलिस की ओर से की गई विवेचना के आधार पर ममता, निर्मला और राकेश को निर्दोष पाते हुए पुलिस ने प्रताप सिंह और चमना देवी के खिलाफ आरोप पत्र जिला न्यायालय में पेश किया था।
सोमवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेंद्र सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए पेश गवाह और साक्ष्यों के आधार पर प्रताप सिंह और चमना देवी को दोषी पाया। अदालत ने दोनों मां बेटे को धारा 304 बी/34 आइपीसी के तहत सात-सात साल का कठोर कारावास और 25-25 हजार रुपये का अर्थदंड, 498ए के तहत एक एक वर्ष का कारावास और पांच पांच हजार रुपये का अर्थदंड और दहेज प्रतिषेध अधिनियम 3/4 के तहत एक एक वर्ष कठोर कारावास और पांच पांच हजार रुपये का अर्थ दंड की सजा सुनाई। अर्थदंड ना चुकाने पर एक एक वर्ष की अतिरिक्त कारावास की भी सजा सुनाई गई। मामले की पैरवी करते जिला शासकीय अधिवक्ता गंभीर सिंह चौहान ने अभियोजन पक्ष की ओर से सात गवाह और मामले से संबंधित साक्ष्य अदालत में पेश किए।