डर के साये में जिंदगी बिता रहे ग्रामीण
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : डुंडा प्रखंड के रतूड़ीसेरा गांव पर भारी खतरा मंडरा रहा है। गांव के नीचे गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर हो रहे भूस्खलन ने गांव के वजूद को भी खतरे में डाल दिया है। वहीं, गांव के निचले हिस्से में पुल का काम कर रही एनबीसीसी ने ग्रामीणों की रोजी रोटी का जरिया भी छीन लिया है।
गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े रतूड़ीसेरा गांव के वजूद पर खतरा मंडराने लगा है। गांव के निचले हिस्से में राजमार्ग पर हो रहे भूस्खलन से गांव में भी धंसाव शुरू हो गया है। 35 परिवार वाले रतूड़ीसेरा गांव में बीते साल आपदा के दौरान ही धंसाव शुरू हो गया था। ग्रामीणों ने प्रशासन से सुरक्षित ठिकानों पर विस्थापन की मांग भी की थी। इस बार मानसून की दस्तक के साथ ही फिर से गांव पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। गांव में धंसाव के साथ ही ग्रामीणों के खेत भी धंसने शुरू हो गए हैं। आलम यह है कि खतरे के जद में आए खेतों में इस बार ग्रामीण धान की रोपाई तक नहीं कर पाएं हैं। ऐसे में अब ग्रामीणों की आजीविका पर भी खतरा मंडराने लगा है। वहीं गांव की रोजी रोटी पर गांव के निचले हिस्से में अठाली पुल बना रही एनबीसीसी (नेशनल बिल्डिंग कंट्रक्शन कंपनी) ने भी डाका डाला है। पुल निर्माण में लगी कंपनी ने ग्रामीणों के खेतों में मलबा डाल दिया। इसके बाद ग्रामीण इस बार इन खेतों में धान की पौध भी नहीं रोप सके। वहीं ग्रामीणों ने खेतों में डाले गए मलबे के एवज में एनबीसीसी से मुआवजे की मांग की। एनबीसीसी ने भी ग्रामीणों को एक सप्ताह में मुआवजा देने का आश्वासन दिया था, लेकिन सप्ताह भर से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी एनबीसीसी ने ग्रामीणों को बर्बाद की गई खेती का मुआवजा नहीं दिया है। ग्रामीण ओमकार बहुगुणा, भगवती प्रसाद, विरेंद्र, राजीव समेत अन्य ने बताया कि गांव खतरे की जद में आ चुका है। ऐसे में अब ग्रामीणों की जान भी लगातार खतरे में है।
गांव के निचले हिस्से में भूस्खलन से खतरा पैदा हुआ है। इसके लिए भूगर्भीय जांच की संस्तुति ली जाएगी। एनबीसीसी से मुआवजा के संबंध में जानकारी ली जाएगी और ग्रामीणों को शीघ्र मुआवजा दिलवाना सुनिश्चित किया जाएगा।
विजयराज शुक्ल, एसडीएम, डुंडा