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स्कूलों को भी विस्थापन का इंतजार

By Edited By: Published: Fri, 18 Jul 2014 01:11 AM (IST)Updated: Fri, 18 Jul 2014 01:11 AM (IST)
स्कूलों को भी विस्थापन का इंतजार

संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: आपदा के लिहाज से संवेदनशील उत्तरकाशी जिले में सबसे ज्यादा खतरे में मासूमों की जान है। खतरनाक जगहों पर बने स्कूल भवनों में मासूम मौत के साए में ही पढ़ने लिखने को मजबूर हैं। वहीं, शिक्षा विभाग भी खतरनाक स्थानों पर बने स्कूलों की सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद नजर नहीं आ रहा है। शायद यही कारण है कि दो सालों में बड़ी आपदाओं के बावजूद भी खतरे की जद में आए स्कूलों को अन्यत्र स्थानांतरित नहीं किया गया है।

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आपदा के लिहाजा से अतिसंवेदनशील भटवाड़ी व डुंडा प्रखंड के 69 विद्यालय भवन बच्चों के लिए खतरा बने हुए हैं। भटवाड़ी प्रखंड में प्राथमिक स्कूल ओडार सबसे ज्यादा संवेदनशील स्थान पर है। नीचे से उफनाती भागीरथी से कटाव व ऊपर से बह रहा नाला। डुंडा व भटवाड़ी के 69 विद्यालयों में पढ़ने वाले 3,238 छात्र पढ़ाई के दौरान सुरक्षित नहीं है। वहीं, जिले में 44 विद्यालय भवन गत वर्ष आपदा से ध्वस्त भी हो चुके हैं, लेकिन पुनर्निर्माण न होने से बच्चे खतरे में ही पढ़ाई को मजबूर हैं।

प्रशासन के प्रस्ताव भी लटके

दोनों प्रखंड के 69 संवेदनशील विद्यालय भवनों में प्रावि पाटा के विस्थापन की कार्रवाई चल रही है तो प्रावि धारकोट के क्षतिग्रस्त भवन के पुनर्निर्माण की फाइल भी स्वीकृत नहीं हो सकी।

स्कूलों की मरम्मत नहीं हुई शुरू

वर्ष 2012 व 2013 में आपदा से ध्वस्त स्कूलों की मरम्मत की अब जाकर शिक्षा विभाग को सुध आई। बीते साल ध्वस्त स्कूलों की मरम्मत की जिम्मेदारी रोटरी क्लब के लेने के बाद शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों की मरम्मत का स्वीकृत बजट लैप्स कर दिया था, लेकिन रोटरी क्लब के हाथ खींचने के बाद विभाग ने इनकी मरम्मत शुरू कर दी है।

यह विद्यालय ज्यादा संवेदनशील

राइंका भटवाड़ी, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय संगलाई, प्रावि पंचाणगांव, प्रावि कुराह, प्रावि ओडार, प्रावि हुर्री, पिंलग, प्रावि नटीण कुंजन, कन्या जूनियर हाई स्कूल हिना।

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आपदा में ध्वस्त स्कूलों की मरम्मत का काम शुरू हो चुका है। खतरे की जद में आए स्कूलों को सुरक्षित इलाकों में स्थापित करने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

रघुनाथ लाल आर्य, मुख्य शिक्षा अधिकारी उत्तरकाशी

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