उत्तराखंड में ही हुआ महापुराणों का विस्तार
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: ऋषि मुनि आज भी पहाड़ में भगवान की तपस्या में जुटे हुए हैं। अष्टादश महापुराण के कथानांक का उल्लेख करते हुए कथावाचक दुर्गेश आचार्य ने दावा किया कि उत्तराखंड में ही महापुराणों का विस्तार हुआ है।
विश्वशांति सद्भावना धाम आश्रम एनआइएम रोड़ में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा में संत डॉ. दुर्गेश आचार्य महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण व समस्त अष्टादश महापुराण का विस्तार उत्तराखंड में ही हुआ। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि से ही भगवान शिव संपूर्ण ब्रह्मांड का संचालन करते हैं। उत्तराखंड में जितने भी पहाड़ हैं वे हमारे ऋषि मुनि हैं जो आज भी परमात्मा की तपस्या में लीन है। अष्टादश महापुराणों में बताया गया है कि प्रह्लाद जब बदरीनाथ गए तो अहंकार में आकर भगवान नर नारायण का अपमान करने लगे। तब भगवान बदरीनारायण ने कहा कि तुम्हें घमंड है कि तुमने पांच वर्ष की अल्पायु में परमात्मा को पाया तो यह असत्य है। भगवान ने प्रह्लाद को कहा कि तुमने मेरी तपस्या में कई सदियां बिताई हैं जिसका प्रमाण यह पेड़, पहाड़ हैं। इस मौके पर तिलोथ, डांग, लदाड़ी, जोशियाड़ा, ज्ञानसू समेत अन्य दूरदराज के गांवों के ग्रामीण कथा सुनने पहुंचे थे।