एडवेंचर टूरिज्म पर फोकस
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की मौजूदगी के बावजूद इस बार एडवेंचर टूरिज्म से उम्मीदें बढ़ रही हैं। आपदा के असर के चलते यात्रियों की आमद कम है, लेकिन एडवेंचर टूरिज्म का विकल्प पूरी तरह खुला है। ऐसे में पर्यटन व्यवसायी भी इस ओर फोकस कर रहे हैं।
सीमांत जनपद में गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में हर साल करीब चार लाख श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। बीते साल जून माह तक ही यात्रा चली और तीन लाख से कुछ अधिक श्रद्धालु दोनों धामों में पहुंच गए थे, लेकिन आपदा के कारण उसके बाद यात्रा पूरी तरह ठप हो गई। बीते माह के दूसरे पखवाड़े में गंगोत्री घाटी में पर्यटकों की आमद शुरू हुई है। इनमें तीन ट्रैकिंग ग्रुप व एक साइक्लिंग ट्रैवल से जुड़ा ग्रुप शामिल था, जबकि डोडीताल ट्रैक के लिए भी स्कूली बच्चों के दो ट्रैकिंग ग्रुप पहुंच चुके हैं। दूसरी ओर गोविंद वन्य जीव विहार से लगे हरकीदून क्षेत्र में भी पर्यटक पहुंचने लगे हैं। यहां अभी तक दिल्ली व मेरठ के छह ग्रुप टौंस नदी की लहरों में राफ्टिंग का लुत्फ उठाने पहुंचे हैं। अप्रैल माह में ऐसे और दलों के विभिन्न जगहों पर पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि अभी गोमुख ट्रैक न खुलने के कारण जिले में उच्च हिमालयी ट्रैकिंग शुरू नहीं हुई है। इस ट्रैक के खुलने के साथ ही तपोवन, सीता ग्लेशियर, गंगोत्री-बद्रीनाथ गंगोत्री-केदारनाथ ट्रैक खुल जाएंगे। वहीं पर्वतारोही दलों की राह भी गोमुख ट्रैक पर आवाजाही शुरू होने के बाद ही खुलेगी।
लाभकारी है एडवेंचर टूरिज्म
स्थानीय स्तर पर ऐडवेंचर टूरिज्म के लिए ट्रैकिंग एजेंसियां मौजूद हैं। ये ऐजेंसियां पर्यटकों को गाइड, कुक, मेडिकल स्टाफ व पोर्टर उपलब्ध करवाती हैं। इसके अलावा हाई अल्टीट्यूड ट्रैकिंग के लिए टेंट, स्लीपिंग बैग, दस्ताने, जूते व अन्य उपकरण भी उपलब्ध कराए जाते हैं। ट्रैकिंग दल आम तौर पर चार से दस दिन तक जिले के विभिन्न स्थानों पर रुकते हैं। जिससे एक साथ कई स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध होता है।
'जिले में साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, बीते साल पर्वतारोही दलों की संख्या इस बार भी उत्साहित करने वाली है, धार्मिक यात्रा को चाक चौबंद करने के साथ ही साहसिक पर्यटन का विभाग की ओर से भी प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
केएस नेगी, जिला पर्यटन अधिकारी, उत्तरकाशी।