बदल गई गोमुख की तस्वीर
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : गंगोत्री ग्लेशियर का मुहाना यानी गोमुख की तस्वीर लगातार बदल रही है। गंगा भागीरथी के इस उद्गम पर लगातार हिमखंडों के टूटने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। अब गोमुख की तस्वीर पहले जैसी नहीं रह गई है। इसमें उभर आई बड़ी दरारें आने वाले दिनों में इसके और ज्यादा बिगड़ने का आभास दे रही हैं।
ग्लोबल वार्मिग समेत अन्य कारणों से तेजी से पिघल रहे गंगोत्री ग्लेशियर में हलचलें जारी हैं। तेजी से पिघलते इस ग्लेशियर से हिमखंडों के चटक कर टूटने का सिलसिला और तेज हुआ है जिसके चलते इस बार ग्लेशियर के मुहाने गोमुख का आकार भी बदला हुआ है। पहले ग्लेशियर के जिस हिस्से से गंगा भागीरथी की जलधारा निकलती थी, वहां अब कई छोटी बड़ी दरारें उभरी हुई हैं। इन दरारों के चटखने से ग्लेशियर के मुहाने से ही हिमखंड टूट रहे हैं। इसके अलावा गोमुख के आस पास भारी हिमस्खलन के साथ आए मलबे से भी ग्लेशियर के ऊपर हिस्से में दरारें उभर रही हैं। ऐसे में इसके ऊपर से तपोवन जाने का रास्ता भी जोखिमभरा हो गया है। ग्लेशियर के ऊपरी हिस्से में बीते सालों की तरह झीलें अब भी बरकरार हैं। गोमुख से लौटकर आए ट्रैकर आमोद सिंह व विष्णु सेमवाल ने बताया कि गोमुख इस बार अलग तरह का नजर आ रहा है। हालांकि बीते सालों में भी इसके आकार में बदलाव महसूस किया जाता था, लेकिन इस बार यह अंतर काफी ज्यादा है। उन्होंने बताया कि गोमुख से हिमखंडों के अब तेजी से टूटने की आशंका भी बढ़ गई है।
गोमुख ट्रैक भी जोखिम भरा
उत्तरकाशी : गंगोत्री से गोमुख तक 18 किमी का ट्रैक भी बेहद जोखिम भरा बना हुआ है। इस बरसात में भारी भूस्खलन व नालों के उफान से ट्रैक का अधिकांश हिस्सा बुरी तरह ध्वस्त हो गया है। वहीं भुजगढ़ी व देवगाड में लगी पुलिया भी बह गई है। गंगोत्री से तीन किमी दूर कनखू बैरियर से ही ट्रैक पर जोखिम शुरू हो जाता है। इन दिनों गोमुख की ओर जा रहे ट्रैकर जान हथेली में डालकर वहां पहुंच रहे हैं।
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'गोमुख में हिमखंडों के टूटने व हिमस्खलन सामान्य प्रक्रिया है, इसलिये इसका आकार बदलते रहना स्वाभाविक है, पार्क प्रशासन की टीम कुछ ही दिन पहले वहां से होकर लौटी है।'
जीएन यादव, उपनिदेशक गंगोत्री नेशनल पार्क।
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