सावधान! हर कदम पर है खतरा
जागरण प्रतिनिधि, उत्तरकाशी: जिला मुख्यालय के निकटवर्ती दिलसौड़ गांव के ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर जिला मुख्यालय तक पहुंचना पड़ रहा है। बीते साल अगस्त माह में आई भीषण बाढ़ से यहां संपर्क मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। छह माह के इंतजार के बाद ग्रामीणों ने ही इस मार्ग को आवाजाही योग्य बनाया है पर खतरा अभी टला नहीं है।
जिला मुख्यालय से महज सात किमी दूर दिलसौड़ गांव को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला एकमात्र संपर्क मार्ग बीते साल अगस्त माह में आई भीषण बाढ़ की चपेट में आ जाने से क्षतिग्रस्त हो गया था। इससे ग्रामीणों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया। ग्रामीणों को मुख्यालय पहुंचने के लिए अठाली होते हुए करीब आठ किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ रही है। क्षतिग्रस्त रास्ते को न तो प्रशासन से दुरूस्त कराने की सुध ली और न ही कोई जन प्रतिनिधि ग्रामीणों की इस समस्या के निराकरण को सामने आया। मजबूरन ग्रामीणों को खुद ही इस रास्ते को आवाजाही लायक बनाना पड़ा, लेकिन खड़ी ढलान के चलते यह रास्ता अब भी ग्रामीणों के लिए खतरनाक बना हुआ है।
ग्राम प्रधान सरोज बिष्ट का कहना है कि रास्ते की मरम्मत को लेकर कई बार जिला प्रशासन से मांग की गई लेकिन इस ओर प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। मजबूरन ग्रामीणों को खुद ही रास्ता दुरस्त करना पड़ा लेकिन अब यह काफी खतरनाक है।
छह माह से पेयजल संकट
उत्तरकाशी: दिलसौड़ गांव में ही अगस्त माह में भूस्खलन के चलते गांव तक पानी की आपूर्ति करने वाली पाईप लाइन भी ध्वस्त हो गई थी। अब तक पाइप लाइन को दुरस्त नहीं किया जा सका है। इस कारण गांव में पेयजल संकट बना हुआ है। ग्रामीणों को पानी के लिए एक किमी दूर पैदल जाकर भागीरथी नदी पर जाना पड़ता है। 50 परिवार वाले इस गांव में पानी आपूर्ति को लेकर ग्रामीण कई बार जल संस्थान के चक्कर काट चुके हैं।
दिलसौड़ गांव के लिए क्षतिग्रस्त संपर्कमार्ग निर्माणाधीन देवीधार जोशियाड़ा मोटर मार्ग के हिस्से में है। इस पर लोनिवि काम कर रहा है शीघ्र ही इस हिस्से को भी दुरुस्त करा दिया जाएगा।
बीके मिश्रा, एडीएम, उत्तरकाशी।
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