पूर्वानुमान लगाया जा सकता है रोगों का
पंतनगर : विवि के कृषि महाविद्यालय में 'मॉडल द्वारा रोग एवं फसल सुरक्षा आकलन' विषय पर आयोजित तीन दिवस
पंतनगर : विवि के कृषि महाविद्यालय में 'मॉडल द्वारा रोग एवं फसल सुरक्षा आकलन' विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में फ्रांस के दो विशेषज्ञों ने वैज्ञानिकों को बदलते मौसम, कीट पतंगों के प्रकोप व रोग से होने वाली हानि से बचने के गुर सुझाये। फ्रांस के राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान (इनरा) के वैज्ञानिक डा. सर्ज सावरी व डा. लातिशिया विलाकूवे ने बताया कि मौसम आधारित मॉडल से रोग का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। मॉडल बताएगा कि कीटों व रोगों के पनपने के लिए कौन सा मौसम अनुकूल होगा। स्टैला प्रोग्रामिंग के आधार पर बना मॉडल पौधों में लगने वाले रोग व संभावित फसल उपज की जानकारी दे देगा। पहले से इन जानकारियों के मिलने पर समय रहते ही फसल सुरक्षा के उपाय किए जा सकते हैं। समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि विवि के कार्यवाहक कुलपति डा. जे. कुमार ने कहा कि उपज का तकरीबन 40 प्रतिशत हिस्सा कीटों व बीमारियों से नष्ट हो जाता है। सटीक जानकारी के मॉडलों से इस हानि को रोका जा सकता है। कार्यशाला के आयोजक सचिव डा. अजीत सिंह नैन ने कहा कि भविष्य में भारत और फ्रांस संयुक्त रूप से मॉडलों से संबंधित शोध कार्य करेंगे। इस मौके पर डा. रूपाली तिवारी व डा. भूपेश रहे। कार्यशाला में भारत व अन्य देशों के 36 प्रतिभागी शामिल हुए। प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिए गए।