डॉ. कलाम का रहा जीबी पंत विवि से प्रगाढ़ नाता
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे कलाम का पंत विवि से पुराना व प्रगाढ़ नाता रहा है। वह यहां तीन बार आए। पहली बार देश के सुरक्षा सलाहकार और दूसरी बार राष्ट्रपति के रूप में और तीसरी बार व यहां गेस्ट स्पीकर के तौर पर वे यहां पहुंचे।
रुद्रपुर। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे कलाम का पंत विवि से पुराना व प्रगाढ़ नाता रहा है। वह यहां तीन बार आए। पहली बार देश के सुरक्षा सलाहकार और दूसरी बार राष्ट्रपति के रूप में और तीसरी बार व यहां गेस्ट स्पीकर के तौर पर वे यहां पहुंचे।
पंत विवि की 1960 में स्थापना के पश्चात विवि में आने वाले डॉ. कलाम चौथे राष्ट्रपति थे। सबसे पहले तथा 17 नवंबर 1963 को विवि के पहले दीक्षांत समारोह में पहले राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन यहां आए थे।
दूसरे राष्ट्रपति वीवी गिरि 19 मार्च 1972 को आयोजित विवि के दीक्षांत समारोह में मौजूद रहे। तीसरे राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह चार अक्टूबर 1982 को आयोजित विवि के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे।
जहां तक देश के मिसाइलमैन डॉ. कलाम का संबंध है, वह यहां तीन बार आए। डॉ. कलाम को यह विवि इसलिए आकर्षित करता था, एक तो यह हरित क्रांति का जन्मदाता था, दूसरा उन्हें कृषि शोध व उसके जमीनी प्रसार की इस विवि से काफी संभावनाएं दिखती थी।
डॉ. कलाम पहली बार 29 जून, 1996 को आयोजित विवि के 17वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे, जब वह देश के रक्षा मंत्री के सुरक्षा सलाहकार थे। उस बार उन्होंने डीआरडीओ के अनुसंधानों का जिक्र करते हुए विवि के युवा वैज्ञानिकों से देश में बंजर पड़ी भूमि का सदुपयोग करने का आह्वान किया था।
जब डॉ. कलाम राष्ट्रपति बने और उन्हें 21वें दीक्षांत समारोह के लिए आमंत्रित किया गया तो उन्होंने आमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया। 17 नवंबर 2003 को आयोजित दीक्षांत समारोह में डॉ. कलाम ने बतौर मुख्य अतिथि दीक्षित हो रहे युवा वैज्ञानिकों से देश की बढ़ती आबादी के हिसाब से एक और हरित क्रांति की वकालत की थी।
उन्होंने कहा था कि उपलब्ध जमीन के हिसाब से वे फसलों की ऐसी प्रजातियां तैयार करें जो अधिक उत्पादन दें और देश की खाद्यान्न आवश्यकता की प्रतिपूर्ति करें। तीसरी बार वह 2007 में पूर्व राष्ट्रपति के तौर पर आए, जब वह देश में यात्र कर नौजवानों को देश की तरक्की में योगदान के लिए जोश भर रहे थे।
उन्होंने विवि के गांधी हाल में गेस्ट स्पीकर के तौर पर युवाओं को देश की तरक्की की नसीहत दी तथा देश को आगे ले जाने की शपथ ग्रहण करवाई।
उनके अचानक निधन से पंत विवि के वैज्ञानिक व छात्रों स्तब्ध हैं। उन्हें लगता है कि कुदरत ने उनका सच्चा मार्गदर्शन छीन लिया है।
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