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इन गांव में गजराज बन रहे यमराज

खटीमा : जंगल से सटे सीमांत के आधा दर्जन गांव में गजराज यमराज बन गए हैं। झुंडों में निकलते यह गजराज फ

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 12:01 AM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 12:01 AM (IST)
इन गांव में गजराज बन रहे यमराज

खटीमा : जंगल से सटे सीमांत के आधा दर्जन गांव में गजराज यमराज बन गए हैं। झुंडों में निकलते यह गजराज फसलों को रौंद ही नहीं रहे लोगों की जान भी ले रहे हैं। इनकी हरकतों को देखकर ग्रामीणों की नींद उड़ गई है। झुंड ने पिछले एक महीने के भीतर सौ एकड़ से अधिक धान की फसल बर्बाद करने के साथ ही आधा दर्जन झालों को तहस-नहस कर दिया। हाथियों के भय से ग्रामीण घर छोड़कर भागकर अपनी जान बचाने में लगे हुए है। आतिशबाजी व हो-हल्ला कर ग्रामीण पूरी रात जागकर गुजार रहे है। इतना ही नहीं बीस दिन पूर्व हाथियों ने वनराजि बस्ती में कृष्णानंद भट्ट को मौत की नींद सुला दिया। वहीं वन विभाग की ओर से इस संबंध में कोई ठोस पहल अभी तक नहीं की गई। इससे ग्रामीणों में विभाग के प्रति आक्रोश है।

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अब नींद नहीं आ रही

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पचौरिया नई बस्ती की उमा देवी कहती है कि पिछले एक महीने से उनकी रातों की नींद गायब हो गई है। शाल ढलते ही हाथी गांव में घुस जाते हैं। वे जमकर उत्पात मचाने के साथ ही उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते है। इस कारण उनके सामने भुखमरी की स्थिति आ गई है।

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फसल हुई तबाह

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गांव के जमन राम का कहना था कि अभी तक हाथी वन सीमा में ही रहते थे। अब झुंड गांव में आ रहा है। हाथियों ने उनकी केले, धान की फसल को तहस-नहस कर दिया। रातों को आतिशबाजी व हो-हल्ला कर उन्हें भगाना पड़ता है। इसको लेकर परिवार के सदस्य व बच्चे भयभीत है।

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वन विभाग जिम्मेदार

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चकरपुर के पूर्व प्रधान प्रवीन सिंह बिष्ट का कहना था कि हाथियों के आबादी में घुसने के लिए वन महकमा जिम्मेदार हैं। वनों में उन्हीं की मिलीभगत से अवैध कब्जे हो रहे हैं। हाथियों के घरों में कब्जा होगा तो वे कहां जाएंगे। विभाग की ओर से कभी अतिक्रमण विरोधी अभियान नहीं चलाया जाता। उसी का परिणाम है कि हाथी आबादी की ओर आ रहे है।

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नहीं मिल सका मुआवजा

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पचौरिया के जोगा राम कहते हैं कि उनके पास तो खेती नहीं है। जो थी भी वह हाथियों ने बर्बाद कर दी। नेता-जनप्रतिनिधि झूठा आश्वासन देकर चले जाते है। अभी तक शासन-प्रशासन की ओर से कोई मुआवजा उन्हें नहीं दिया गया है। उनके सामने रोजी-रोटी का संकट बना हुआ है।

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घरों से भागकर बचानी पड़ती है जान

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गोविंदी देवी कहती हैं कि वे रातों को दूसरों के घर शरण लेकर दिन काट रही है। हाथियों ने इस बार सबसे ज्यादा उन्हीं का नुकसान किया है। जो खेती थी वह सब नष्ट हो गई। अभी भी हाथियों का आना बंद नहीं हुआ है। प्रशासन की ओर से मुआवजा भी नहीं मिला है।

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बने सुरक्षा दीवार व खोदी जाए खाई

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कुटरी की प्रधान जानकी जोशी का कहना था कि अब तक हाथियों ने सौ एकड़ अधिक धान की फसल नष्ट कर दी है। वन महकमे की ओर से पीडि़त परिवारों की कोई सुध नहीं ली गई है। न ही विभाग ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए है। यदि विभाग हाथियों को गांव से आने से रोकने के लिए जंगल किनारे नाली खुदान व सुरक्षा दीवार लगाए तो इनका प्रवेश आबादी में रोका जा सकता है। इससे ग्रामीणों को भी राहत मिलेगी।

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झाला तोड़ा, फसल हुई बर्बाद

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गांव की रेखा देवी का कहना था कि हाथियों के झुंड ने उनका सब कुछ बर्बाद कर दिया है। झाला क्षतिग्रस्त करने के साथ नल को भी तोड़ दिया। खेत में कटी व खड़ी फसल रौंद डाली। रसोई घर को ढहाने की कोशिश की। चारों ओर से हाथियों ने उनके मकान की घेराबंदी कर पूरी रात उत्पात मचाया। जिसकी वजह से उनके बच्चे डरे हुए है।

इंसेट-

आबादी क्षेत्र में नहीं जा रहे हाथी : शाही

खटीमा : खटीमा रेंज के वन क्षेत्राधिकारी टीएस शाही का कहना था कि हाथियों का झुंड आबादी क्षेत्र में नहीं जा रहा है। वह अपने ही कॉरीडोर में विचरण कर रहे है। वर्तमान में जो भी क्षेत्र में हाथी गए हैं। वह अतिक्रमण के दायरे में हैं। इसके बाद भी विभागीय कर्मी गश्त व निगरानी करने में जुटे हुए है।


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