मुस्लिमों के दीयों पर लक्ष्मी मेहरबान
राजीव पांडेय, सितारगंज : दीपावली ¨हदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग म
राजीव पांडेय, सितारगंज : दीपावली ¨हदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग मिट्टी से बना दीये जलाते हैं और पूजा-अर्चना व अनुष्ठान करते हैं। लेकिन क्षेत्र में ¨हदुओं की देवी लक्ष्मी मुसलमानों के दीयों में मेहरबान है। यह अपने आप में अनूठा और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। दीपावली पर दीया, मटका, गुल्लक, दीपदान बनाने से दो परिवारों को रोजगार मिलता है।
शहर के वार्ड संख्या पांच में दो मुस्लिम परिवार हैं जुम्मन और अनीस। दोनों परिवार वर्षो से मिट्टी के दीये बनाते आ रहे हैं। दीपावली पर हर साल यह परिवार करीब एक-एक लाख दीया तैयार करता है। कोतवाली के समीप दीयों की दुकान लगाने वाले जुम्मन के पुत्र सोनू कासगर के मुताबिक उनका परिवार लंबे समय से मिट्टी के दीये बनाने के रोजगार से जुड़ा है। दीपावली आने के तीन-चार माह पहले दीये तैयार करने में लग जाते हैं। एक परिवार के सात-आठ लोगों को एक लाख दीये तैयार करने में तीन-चार माह तक लग जाते हैं। जब दीये कम पड़ते जाते हैं तो वह बरेली से मंगाते हैं। इन्हीं दो परिवारों के लोग पूरे शहर ही नहीं सितारगंज के आसपास में भी दीये बेचते हैं। शहर से सटे सिसौना, बमनपुरी, बरुआबाग, नकुलिया, तुर्का तिसौर, शक्तिफार्म के गांव तक दीये जाते हैं। सोनू के अनुसार दीपावली का उनको इंतजार रहता है। उनके परिवारों की मुख्य आय का साधन ही दीये हैं। वर्ष में एक बार जो कमाई होती है उससे परिवार की रोजी-रोटी चलती है। उसका कहना है कि ¨हदू भाई उनके ही दीये खरीदते हैं।