शपथ लें, नहीं करेंगे पॉलीथिन का प्रयोग
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : पॉलीथिन का प्रयोग कानूनन अपराध है। प्रदेश सरकार इस पर रोक लगा चुकी
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : पॉलीथिन का प्रयोग कानूनन अपराध है। प्रदेश सरकार इस पर रोक लगा चुकी है, हाई कोर्ट भी इसके बढ़ते प्रयोग से ¨चतित है। पॉलीथिन का इस्तेमाल न रुका तो पर्यावरण को बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाएगा। यह बात चाणक्य लॉ कालेज के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने दुकानों पर जाकर लोगों को समझाने की कोशिश की। जूट और कपड़े के थैले भी बांटे। अनुरोध किया कि भविष्य में पॉलीथिन का प्रयोग हरगिज न करें।
पॉलीथिन नुकसानदेय है। यह कई बीमारियों की वजह है। कूड़े के साथ इसके जलने से अस्थमा, त्वचा रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का खतराबना रहता है। इसके ज्यादा उपयोग या फिर संपर्क में रहने से खून में थैलेट्स की मात्रा बढ़ जाती है। गर्भ में पल रहे शिशु का विकास प्रभावित होता है। प्रजनन अंगों को भी क्षति पहुंचती है। प्लास्टिक उत्पादों में प्रयोग होने वाला बिस्फेनॉल रसायन शरीर में ग्लूकोज की मात्रा व लिवर एंजाइम को असामान्य कर देता है। प्लास्टिक कचरे के जमीन में दबने से वर्षा जल का भूमि में संचरण भी नहीं हो पाता। साथ ही पॉलीथिन नाले-नालियों को भी चोक करती है। इसको देखते हुए दैनिक जागरण ने इसके खिलाफ मुहिम शुरू की। लोग इससे जुड़ने लगे हैं। देवस्थली विद्यापीठ, एपेक्स इंस्टीट्यूट और द्रोण कालेज के बाद अब कानून की शिक्षा ले रहे चाणक्य लॉ कालेज के छात्र-छात्राएं और शिक्षक पॉलीथिन के खिलाफ आगे आए हैं। पॉलीथिन के खात्मे का संकल्प लिया है। कहा है कि वे पॉलीथिन का प्रयोग नहीं करेंगे। दूसरे लोगों को भी इसके खिलाफ जागरूक किया जाएगा। वे जूट के बैग लेकर दुकानों पर गए, पॉलीथिन के नुकसान भी गिनाए और दुकानदारों से पॉलीथिन का प्रयोग न करने की सौगंध ली।
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पॉलीथिन से पर्यावरण को बड़ा खतरा है। यह एक नॉन बायोडिग्रेडेबल उत्पाद है। इसे विघटित होने में कम से कम 1000 वर्ष का समय लगता है, इसलिए हमें पॉलीथिन का बहिष्कार करना चाहिए।
-एसपी ¨सह, चेयरमैन
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पॉलीथिन का उपयोग हमारे स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बहुत ही घातक है। इसलिए हमें इसका उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। साथ ही दूसरों को भी पॉलीथिन के नुकसान बताने चाहिए।
-डा. दीपाक्षी जोशी, प्राचार्य
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पॉलीथिन पर्यावरण प्रदूषण की बड़ी वजह है। इसके इस्तेमाल से मनुष्यों के साथ-साथ जानवरों को भी गंभीर शारीरिक क्षति पहुंच सकती है। इसका इस्तेमाल तत्काल बंद कर देना चाहिए।
-नवदीप धालीवाल, काउंसलर,
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पर्यावरण प्रदूषण से सांस संबधी रोग, खून जम जाना, अत्याधिक पसीना आना व पेट संबधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए पॉलीथिन का बहिष्कार किया जाना चाहिए।
-शिवांगी गुप्ता, छात्रा
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पॉलीथिन के उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण में निरंतर वृद्धि हो रही है। पॉलीथिन में ऐसे तत्व विद्यमान होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। पॉलीथिन को जलाने से कई विषैली गैसें निकलती हैं, जो हमारे लिए घातक सिद्ध होती हैं।
-सुरजीत ¨सह, छात्र
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पॉलीथिन का प्रयोग भूमि प्रदूषण, खाद्य प्रदूषण, जल प्रदूषण व वायु प्रदूषण में लगातार वृद्धि कर रहा है। पॉलीथिन खतरनाक रसायनों का ऐसा योगिक है जिसको नष्ट किया जाना संभव नहीं है। कानून के माध्यम से पॉलीथिन पर रोक लगाई जानी चाहिए।
-जईम खान, छात्र
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पॉलीथिन का लगातार उपयोग हमारे पारिस्थितिक चक्र को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही है। पॉलीथिन एक ऐसा अपघटित पदार्थ है जो लगातार भूमि की उर्वरा शक्ति को नष्ट करता है।
-शहनाज अख्तर, शिक्षक
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निरंतर बढ़ता पॉलीथिन का उपयोग हमारे समाज के लिए एक जहर के समान है जो दिन-प्रतिदिन वातावरण को विषाक्त करता जा रहा है। इसलिए इसका प्रयोग न स्वयं न करें, न दूसरे को करने दें।
-अनिल कुमार ¨सह, शिक्षक