50 साल बाद भी नहीं अपना भवन
इसे तहसील की बदकिस्मती कहें या शासन में बैठे लोगों की लापरवाही 50 साल बाद भी तहसील की व्यवस्थाएं जस
इसे तहसील की बदकिस्मती कहें या शासन में बैठे लोगों की लापरवाही 50 साल बाद भी तहसील की व्यवस्थाएं जस की तस बनी हुई हैं। यहां एसडीएम और सीओ के बैठने का सरकारी भवन भी नहीं है। जब क्षेत्र के दो मुख्य अधिकारी ही दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। ऐसे में क्षेत्र के विकास की उम्मीद करना बेइमानी होगी।
करीब 50 साल पूर्व बनी सितारगंज तहसील आज भी बदहाली के आंसू रो रही है। 2006 से पूर्व तहसील की समस्याओं के लिए जनता को खटीमा एसडीएम के पास जाना पड़ता था। जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है। इसको देखते हुए 11 जून 2006 को सरकार ने त्रिलोक सिंह मर्तोलिया को एसडीएम बनाकर यहां भेज दिया। वह कहां बैठकर लोगों की समस्या सुनेंगे। सरकार पर बैठे नुमाइंदों ने सोचा ही नहीं। आखिर में मंडी समिति ने एसडीएम को शरण दी। 6179 रुपये मासिक किराए पर भवन दे दिया। समय बीतने के साथ जरूरतें बढ़ने लगी। एसडीएम कोर्ट व कार्यालय बनाने की आज तक सुध नहीं ली। इसे बनाने के लिए कई बार प्रस्ताव भेजे गए। लेकिन एक पर भी अमल नहीं हुआ। तीन साल पूर्व भेजे प्रस्ताव पर लोनिवि अधिशासी अभियंता ने तो उसकी लागत तक निर्धारित कर दी थी। लेकिन यहां भी रिजल्ट जीरो रहा।
-तहसील पर तहसील की हो रही घोषणा
वोट बैंक की खातिर प्रदेश सरकार ने अपने कार्यकाल में कई तहसील बनाने की घोषणा की। लेकिन पुरानी तहसील की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए सरकार के पास बजट नहीं है। बीती शुक्रवार को सीएम हरीश रावत ने नानकमत्ता को उप तहसील बनाने की घोषणा कर दी।
-नौ साल से नहीं हुआ किराए का भुगतान
जून 2006 में मंडी समिति में एसडीएम कार्यालय व कोर्ट खुला था। तब से लेकर आज तक विभाग ने मंडी को किराए का भुगतान नहीं किया। ऐसे में एसडीएम कार्यालय पर मंडी की करीब छह लाख से अधिक की देनदारी हो गई है।
-वर्जन-
तहसील निर्माण के लिए पूर्व में भी प्रस्ताव भेजे गए हैं। शासन से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया। फिर से प्रस्ताव भेजा जाएगा। एसडीएम कार्यालय के बकाए किराए के भुगतान संबंधी जानकारी उन्हें नहीं है। फाइल देखने के बाद ही वास्तविक स्थिति का पता चलेगा।
- पंकज पांडे, डीएम, ऊधम सिंह नगर