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सियासी हनक में सिसकता रहा कानून

काशीपुर : कोर्ट परिसर में हथियार लहाराए, अधिवक्ताओं को धमकाया और उद्योगपति के अपहरण का प्रयास। इसके

By Edited By: Published: Sun, 21 Dec 2014 11:57 PM (IST)Updated: Sun, 21 Dec 2014 11:57 PM (IST)
सियासी हनक में सिसकता रहा कानून

काशीपुर : कोर्ट परिसर में हथियार लहाराए, अधिवक्ताओं को धमकाया और उद्योगपति के अपहरण का प्रयास। इसके बाद भी दबंग बेगुनाह, क्योंकि कोई तहरीर नहीं दे रहा। दरअसल यह मामला तहरीर का नहीं बल्कि उद्योगपतियों का था। जिसमें सियासी रसूख रखने वालों की दखलंदाजी के बाद पुलिस ने खेल कर दिया। नतीजा कोर्ट परिसर में दशहत के साए में रहे सैंकड़ों अधिवक्ताओें के साथ ही जनता को यह तक पता नहीं चला कि आखिर वह लोग थे कौन और किसने भेजा था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोर्ट परिसर जैसे सार्वजनिक स्थानों पर कोई दो पक्ष हथियार लहराकर आतंक फैला सकते हैं। इसके बाद पुलिस उन्हें सिर्फ इसलिए रिहा कर देगी क्योंकि उन दोनों पक्षों में समझौता हो गया। इस सवाल का जबाब तो पुलिस अफसर ही देंगे। मगर इस घटना ने क्षेत्र की जनता का कानून से विश्वास जरूर हिला दिया है।

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पुलिस का रवैया बेहद निराशाजनक है, हथियारबंद दबंगों ने कोर्ट जाने वाले चारो रास्तों पर गाडि़यां लगाई थी। उन्होंने न सिर्फ कोर्ट परिसर में दहशत फैलाई बल्कि छह सौ से अधिक अधिवक्ताओं के मान सम्मान को भी ठेस पहुंचाई है। इसके बावजूद उन्हें छोड़ दिया गया। वह लोग पेशेवर थे या नान पेशेवर थे। इसकी जांच तो होनी ही चाहिए। सभी को चिह्नित कर गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

-- उमेश जोशी, अधिवक्ता

प्रशासन का काम शांति व्यवस्था को कायम रखना है। सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह दहशत फैलाने वाले अगर आपसी समझौते पर छूटेंगे तो कानून का डर किसे रहेगा। यदि उनमें आपसी समझौता हो भी गया था तो भी लाइसेंस के दुरुपयोग और कोर्ट परिसर में हथियार लहराने के आरोप में कार्रवाई होनी चाहिए थी।

-- शैलेंद्र मिश्रा, वरिष्ठ अधिवक्ता

= कोर्ट परिसर में इस तरह की वारदात उत्तराखंड में पहली बार हुई है। ऐसे अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए। बार एसोसिएशन इस संबंध में सोमवार को रणनीति बनाएगी। आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो पूरे उत्तराखंड के अधिवक्ता आंदोलन करेंगे।

-- आलम सिंह सिसौदिया, अध्यक्ष बार एसोसिएशन

कोतवाल से सीधी बात

सवाल : कोर्ट में पकड़े आरोपियों का क्या हुआ ?

जवाब : दोनों पार्टियों के समझौते पर उन्हें छोड़ दिया

सवाल : क्या उन्होंने कोर्ट में दहशत फैला कर शांति भंग की है?

जबाव : हां उन्होंने गैर कानूनी कार्य किया लेकिन जब कोई बोल नहीं रहा तो हम कार्रवाई कैसे करें।

सवाल : क्या अधिवक्ता की तरफ से तहरीर नहीं दी गई है?

जवाब : हां तहरीर देने वाले अधिवक्ता संजय रुहेला को बुलाया है, जांच के लिए।

सवाल : असलाहों के साथ कोर्ट परिसर में दहशत फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

जवाब : अधिवक्ताओं से बात करके मामले की जांच की जा रही है, उसके बाद ही कार्रवाई होगी।

सवाल : क्या कार्रवाई की जाएगी

जबवा : जांच के बाद लाइसेंस निरस्तीकरण के लिए संस्तुति करेंगे।

= अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। कोर्ट परिसर में हथियार लेकर जाने वालों की शिनाख्त कराकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा उनके लाइसेंस भी निरस्त किए जाएंगे। आरोपियों को छोड़े जाने के मामले को भी दिखवाएंगे।

-- जीएस मर्तोलिया, डीआइजी, कुमाऊं


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