मौण मेले में मछली पकड़ने अगलाड़ में उतरे ग्रामीण
संवाद सूत्र, नैनबाग : जौनपुर का ऐतिहासिक व राजशाही के समय से चला आ रहा मौण मेले में ग्रामीणों में खा
संवाद सूत्र, नैनबाग : जौनपुर का ऐतिहासिक व राजशाही के समय से चला आ रहा मौण मेले में ग्रामीणों में खासा उत्साह दिखा। इस मेले में अगलाड़ नदी में मछली पकड़ना आकर्षण का केंद्र रहा। बुधवार को बारिश होने के बावजूद भी लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ और बड़ी संख्या में ग्रामीण बारिश में भी मछली पकड़ने को अगलाड़ नदी पहुंचे।
बुधवार को मौण मेले के अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण अगलाड़ नदी के समीप एकत्रित हुए और जौनपुरी लोक संस्कृति के नृत्य किया गया, इसके बाद मौण को नदी में डाला गया। इस बार मौण लाने की बारी पटटी लालूर के मरोड़, खैराड़, नैनगांव, भूटगांव, मातली, मूनोग के ग्रामीणों की थी। मौण नदी में डालते ही लोग मछली पकड़ने के लिए नदी में उतर गए। काफी देर तक मछली पकड़ने का सिलसिला जारी रहा। मछली पकड़ने को लेकर युवाओं में खासा उत्साह देखा गया। सायं को भी गांव में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस मेले को देखते के लिए बाहर से भी लोग यहां पहुंचे थे। यह मेला राजशाही के समय से चला आ रहा है। सन 1966 में टिहरी नरेश ने इसी स्थान पर पहुंचकर इस परंपरा की शुरुआत की थी। बीच में कुछ विवाद होने के बाद करीब अन्तराल में 6 साल तक यदि आयोजित नहीं हो पाया था, लेकिन बाद में ग्रामीणों ने सहमति बनाकर राजा से मेला फिर से शुरू करने की मांग की थी जिसके बाद अभी तक यह मेला आयोजित होता है। पटटी लालूर के लोग बद्रीगाड़ से लेकर मुख्य बाजार नैनबाग तक रासों नृत्य करते हुए आये। बारिश के बाद भी लोग काफी संख्या में मछली पकड़ने को पहुंचे। मौण मेले में पटटी लालूर, सिलवाड़, आठजूला, दशजूला, ईडवालस्यूं व जौनपुर सहित 114 गांव के के लोग शिरकत करते हैं। मेले में आये शांति ¨सह चौहान, दर्शन लाल नौटियाल, प्रदीप कवि,बचन ¨सह, सुलतान ¨सह, राजेन्द्र ¨सह रावत, शांति ¨सह का कहना है कि मौण मेले हर साल ग्रामीण धाूमधाम से मनाया जाता है। यह मेला जौनपुर की संस्कृति व आपसी भाईचारे का प्रतीक है इस मेले को बिना सुरक्षा व्यवस्था के ग्रामीण प्रेम व उत्साह के साथ मनाते हैं।