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संविदा खेती पर जल्दबाजी में निर्णय न ले सरकार

संवाद सहयोगी, चम्बा: बीज बचाओ आंदोलन ने प्रदेश सरकार के संविदा खेती अर्थात कांट्रेक्ट फार्मिंग को अप

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jun 2017 05:37 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 05:37 PM (IST)
संविदा खेती पर जल्दबाजी  में निर्णय न ले सरकार
संविदा खेती पर जल्दबाजी में निर्णय न ले सरकार

संवाद सहयोगी, चम्बा: बीज बचाओ आंदोलन ने प्रदेश सरकार के संविदा खेती अर्थात कांट्रेक्ट फार्मिंग को अपनाने पर सुझाव देते कहा कि जहां इस तरह की खेती की जा रही है वहां इसके परिणाम अच्छे नही है। इसमें कंपनियां मनमानी करती हैं इसलिए सरकार को इससे दोनों पहलुओं का अध्ययन करना चाहिए।

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सरकार के इस निर्णय को लेकर बीज बचाओ आंदोलन के संयोजक विजय जड़धारी का कहना है कि प्रदेश सरकार कर्नाटक की तर्ज पर यहां भी संविदा खेती अर्थात संविदा खेती को शुरू करना चाहती है, लेकिन इसके दोनों पहलुओं का अध्ययन करने के बाद ही निर्णय लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए तो खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है, लेकिन कंपनियों के लिए वह कैसे मुनाफा बन जाती है। इसका कर्नाटक राज्य का उदाहरण है वहां इसके परिणाम ठीक नही है। कंपनियां अपनी मनमानी करती हैं और खेतों में इतनी रासायनिक खाद व दवाओं का प्रयोग करती हैं कि कुछ सालों बाद खेत खेती करने लायक ही नही रहते हैं, उनकी उर्वराशक्ति कम हो जाती है और कंपनियां फिर नये खेतों को किराये पर ले लेती है। उन्होंने कहा कि कंपनियों का उद्देश्य कम समय में अधिक मुनाफा कमाना होता है इसलिए वे किसानों की जमीनें लेकर वहां व्यापारिक फसलें कपास, टमाटर आदि उगाती हैं। उन्होंने कहा कि इसके परिणाम जाने बगैर हम दूसरों की देखा-देखी नही कर सकते हैं और प्रदेश सरकार को ऐसा नही करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को प्रोत्साहित कर बैलों की खरीद पर सब्सिडी दी जाए।


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