विस्थापन की इंतजार में पिंसवाड़ गांव के लोग
संवाद सहयोगी, नई टिहरी: आपदा की दृष्टि से पिंसवाड़ गांव संवेदनशील हैं। इस गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण
संवाद सहयोगी, नई टिहरी: आपदा की दृष्टि से पिंसवाड़ गांव संवेदनशील हैं। इस गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण भी करवाया गया, लेकिन उसके बाद मामला आगे नहीं बढ़ पाया है। स्थिति यह है कि बरसात में ग्रामीण गांव को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले जाते हैं।
वर्ष 2002 की आपदा के बाद भिलंगना प्रखंड का पिंसवाड़ गांव के 270 परिवार खतरे के साए में जी रहे हैं। गांव के ऊपर पड़ी दरार बरसात में भूस्खलन का रूप ले लेती है, इससे गांव को खतरा बना हुआ है। बरसात के सीजन आते ही ग्रामीण सहम जाते हैं। भय के कारण ग्रामीण करीब चार माह के लिए गांव छोड़ देते हैं। बरसात में गांव का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। स्थिति यह कि गांव में करीब दस भवनों में दरार पड़ रखी है। गांव में जमीन धंसने के कारण कई मकानों को खतरा बना हुआ है। वर्ष 2002 में बादल फटने से इस गांव में चार लोगों के मलबा में दबने से मौत हो गई थी। ग्रामीण पिछले दस सालों से विस्थापन की मांग करते आ रहे है। यही नहीं गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण भी करवाया है, लेकिन अभी तक आगे की कार्यवाही नहीं हो पाई है। पिछले बार आपदा में पिंसवाड़ गांव में हल्का वाहन मार्ग व पुलियां क्षतिग्रस्त होने से आठ माह तक इस गांव का अन्य क्षेत्रों से संपर्क कट गया था। बरसात का सीजन आते ही ग्रामीण सहम जाते हैं।
आपदा की दृष्टि से यह गांव अति संवेदनशील है। ग्रामीण पिछले दस दिनों से विस्थापन की मांग करते आ रहे है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई है, इस कारण ग्रामीण खतरे के साए में जीने को मजबूर हैं।
भरत सिंह, ग्राम पिंसवाड़
- सरकार की ओर नए शासनादेश के तहत इसके लिए समिति बनाई जाएगी जो ऐसे गांव को प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजेगी उसके बाद आगे की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
प्रवेशचंद्र डंडरियाल
अपर जिलाधिकारी