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सफेद हाथी बना बौराड़ी का ब्लड बैंक

जागरण संवाददाता, नई टिहरी: जिला अस्पताल बौराड़ी का ब्लड बैंक सफेद हाथी बनकर रह गया है। यह ब्लड बैंक क

By Edited By: Published: Wed, 29 Oct 2014 05:34 PM (IST)Updated: Wed, 29 Oct 2014 05:34 PM (IST)
सफेद हाथी बना बौराड़ी का ब्लड बैंक

जागरण संवाददाता, नई टिहरी: जिला अस्पताल बौराड़ी का ब्लड बैंक सफेद हाथी बनकर रह गया है। यह ब्लड बैंक कब शुरू होगा। इस यक्ष प्रश्न का स्वास्थ्य विभाग के पास कोई जवाब नहीं है। भवन, मशीनें और कर्मचारी सब उपलब्ध हैं लेकिन ब्लड बैंक को लाइसेंस आज तक नहीं मिला है। इस कारण जिले में अगर किसी को खून की जरुरत पड़ती है, तो 75 किलोमीटर दूर ऋषिकेश या फिर 100 किलोमीटर दूर देहरादून जाना पड़ता है।

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जिला अस्पताल बौराड़ी में जिले भर के मरीज इलाज के लिए आते हैं। लेकिन आज तक अस्पताल में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं मिल सकी है। वर्ष 2010 में ब्लड बैंक का निर्माण किया गया था। करोड़ों रुपये की लागत से बने ब्लड बैंक में मशीनें और कर्मचारी पर्याप्त हैं लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से आज तक ब्लड बैंक को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। पिछले साल भी केंद्र सरकार की टीम ने ब्लड बैंक का निरीक्षण किया था लेकिन तब से लाइसेंस नहीं मिल सका है। उस समय केंद्र सरकार की टीम ने ब्लड बैंक में एसी और जेनरेटर न होने की कमी बताई थी। उसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने एसी और जेनरेटर के लिए प्रस्ताव निदेशालय को दिया था, जिसके बाद एसी और जेनरेटर लगा दिया गया। इस वर्ष भी चार माह पहले जिला स्वास्थ्य विभाग ने केंद्र सरकार को लाइसेंस के लिए पत्र भेजा था लेकिन अब तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

केंद्र सरकार लाइसेंस तभी देती है जब ब्लड बैंक में सभी तरह के उपकरण उपलब्ध हों। ब्लड बैंक में एक पैथालॉजिस्ट, एक लैब टैक्नीशियन और दो अन्य कर्मचारी भी तैनात हैं।

'ब्लड बैंक के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। लेकिन अभी तक वहां से मंजूरी नहीं आई है। एसी और जेनरेटर जल्द लगा दिए जाएंगे। '

डा. बीसी काला, सीएमएस, जिला अस्पताल बौराड़ी, टिहरी गढ़वाल

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ये है ब्लड बैंक में उपकरण

डोमेस्टिक रेफ्रिजरेटर, डोनर काउच, इक्यूबेटर, वाटर बाथ सेरोलॉजी, ऑटो क्लेव, बायोनुकलर माइक्रोस्कोप, ब्लड मिक्सर शेकर और नीडल डिस्ट्रायर

कम आते हैं मामले

ब्लड बैंक बनने के बाद अस्पताल में लोग खून के लिए आते थे। लेकिन उसके बाद बैंक चालू न होने के बाद अब कम ही लोग आते हैं। महीने में दस केस खून से संबंधित होते हैं।


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