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मणियाण गांव की ओर नहीं प्रशासन का ध्यान

By Edited By: Published: Mon, 18 Aug 2014 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 18 Aug 2014 01:00 AM (IST)
मणियाण गांव की ओर नहीं प्रशासन का ध्यान

जागरण टीम, नई टिहरी : बादल फटने से आपदा का शिकार हुए बाणी गांव को लेकर तो प्रशासन काफी गंभीर है। लेकिन, उसके नजदीकी मठियाण गांव की सुध किसी ने नहीं ली है। पिछले दिनों हुई बारिश से यहां ग्रामीणों के मकान क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं प्रभावित गांवों में सड़क पेयजल, गूल आदि क्षतिग्रस्त हो गई हैं। जिले के कई जगहों पर संचार सेवा भी बाधित हुई है।

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बारिश के चलते नरेन्द्रनगर प्रखंड की पोखरी-मणगांव, चाका-कैंथैलगांव पेयजल योजना भी क्षतिग्रस्त हो गई है। इसके कारण ग्रामीणों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। पालकोट में तल्ला सेरा नामे तोक में गूल मलबे में बह गई है। बूढ़ाकेदार क्षेत्र रगस्या-भौंदी पेयजल योजना पर पानी न आने से ग्रामीणों को नदी का दूषित पानी पीना पड़ रहा है। वहीं भूस्खलन के चलते मरोड़ा-बनाली मार्ग के बंद होने से यहां कई वाहन मार्ग में फंसे हुए हैं। वहीं भूस्खलन के कारण बनाली के करीब आठ-दस गांव खतरे की जद में आ गए हैं। इसके साथ ही घनसाली, जौनपुर, देवप्रयाग आदि जगहों पर संचार सेवा बाधित हो गई है। वहीं नैनबाग के सोन नदी पर तीन पुलियों के बहने से ग्रामीणों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश लिंक मार्ग बाधित होने से ग्रामीणों का अन्य क्षेत्रों से संपर्क कटा हुआ है।

प्रखंड के दूरस्थ मठियाण गांव में आपदा के कारण कई परिवार खतरे की जद में आ गए हैं। शुक्रवार सुबह को बागी गांव में बादल फटा था उसी दिन मठियाण गांव में भी बादल फटा। इससे गांव में भारी नुकसान हुआ। बादल फटने के कारण करीब एक दर्जन लोगों के मकान खतरे की जद में आ गए है। गांव के ठीक ऊपर की पहाड़ी पर बादल फटने से नीचे गदेरे ने अपना रूख गांव की तरफ कर लिया है। इससे लोगों के खेत-खलिहान जमींदोज हो गए। ग्रामीणों के मकानों के नजदीक टनों वजनी पत्थर गिरे हैं। घटना से ग्रामीण दहशत में हैं, वे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। यहां राकेश प्रसाद मैठाणी, दिनेश प्रसाद, इन्द्रदत्त, मगनी देवी, लाखीराम, गोविन्दलाल, दर्शन लाल आदि ग्रामीणों के मकान खतरे में है। लगातार हो रही बारिश से गांव को खतरा बना हुआ है। गांव के बुजुर्गो के अनुसार करीब अस्सी साल पहले बादल फटने से कई मकान बह गए थे। ऐसे में ग्रामीण अपने मकानों में तो रह रहे है, लेकिन कब क्या हो जाए इसको लेकर चिंतित है। उन्होंने सुरक्षा के उपाय करने की मांग की है।


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