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गदेरों में उफान, खतरे में जान

By Edited By: Published: Wed, 23 Jul 2014 01:01 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jul 2014 01:01 AM (IST)
गदेरों में उफान, खतरे में जान

संवाद सहयोगी, नई टिहरी: पिछली आपदा में क्षतिग्रस्त हुई अधिकांश पुलियों का निर्माण व मरम्मत न होने से गदेरे एक बार फिर परेशानी का सबब बन सकते हैं। बारिश के कारण उफन रहीं नदियां व गदेरे जोखिम को और बढ़ा रहीं हैं।

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अभी तक तो गदेरों का पानी कम था इसलिए ग्रामीण गदेरों को पार करने में कोई परेशानी नहीं होती थी। लेकिन, पिछले तीन-चार दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से क्षेत्र की नदियां व गदेरे उफान पर हैैं। ऐसे में क्षतिग्रस्त पुलिया को पार करना खतरे से खाली नहीं है। पुलियों के अभाव में ग्रामीणों को लंबा फेरा लगाना पड़ रहा है। पिछली आपदा में थौलधार के बंगियाल-स्यांसू गाड पर बनी एक दर्जन पुलिया बह गई थी जिनका अभी तक निर्माण नहीं हो पाया। वहीं भिलंगना के पिंसवाड़, उर्णी गांव, नैलचामी व राबाइंका बहेड़ा को जोड़ने वाली पैदल पुलिया भी अभी तक क्षतिग्रस्त हैं। नैनबाग के घोन, तिखोन, जाखणीधार के कस्तल के सैंज गांव में भी पुलियों का निर्माण न होने से ग्रामीणों की परेशानियों बढ़ी है। पुलियों का निर्माण न होने से ग्रामीणों को करीब तीन-चार किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है।

अभी तक तो गदेरों का पानी कम था तो लोग किसी तरह इसे पार कर रहे थे, लेकिन बारिश के कारण जलस्तर बढ़ने से यह जोखिम भरे बने हुए हैं। खासकर स्कूली छात्रों को स्कूल आने-जाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नैलचामी के सोहन सिंह, पिंसवाड़ गांव के भरत सिंह आदि का कहना है कि पुलियों का निर्माण न होने से लोगों का आवागमन प्रभावित हो गया है।


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