दूध बना आर्थिकी का जरिया
संवाद सहयोगी, चंबा: जो काम अकेले नहीं होता, वह समूह के माध्यम से हो सकता है। जिसने समूह की ताकत को पहचाना वह प्रगति की ओर अग्रसर हुआ। चंबा-मसूरी फलपट्टी के गांवों की महिलाएं भी ऐसा ही कुछ नया कर अपनी आर्थिकी सुधारने में लगी हैं।
महिलाएं फेडरेशन के माध्यम से दूध का कारोबार कर रही हैं। यह उनकी आजीविका का मुख्य जरिया बन रहा है। इससे जहां उनकी आर्थिकी में सुधार हो रहा है, वहीं पशुपालन को भी बढ़ावा मिल रहा है। सालभर पूर्व शुरू की गई उनकी यह मुहिम रंग ला रही है। पहले दूध बेचने के लिए उनके पास बाजार नहीं था जिस कारण उन्हें लाभ नहीं मिल रहा था। हिमोत्थान परियोजना से जुड़कर महिलाओं ने पहले छोटे समूह बनाए। उसके बाद समूहों को जोड़कर फेडरेशन का गठन किया। गत वर्ष जुलाई में चंबा में हिम विकास दुग्ध डेयरी खोली। फे डरेशन के तहत घर-घर से दूध एकत्र कर डेयरी में लाया जाता हैं, जहां दूध से दही, मठ्ठा, मक्खन, घी आदि तैयार कर उसे बेचा जाता है। फेडरेशन ने उत्पादों की गुणवत्ता को प्राथमिकता दी, इसकी बदौलत बाजार में दूध आदि की भारी मांग है। फलपट्टी के 14 गांव की 380 महिलाएं पशुपालन कर दुग्ध विक्रय कर रही हैं। इससे उन्हें घर बैठे रोजगार मिला है। समूह की अध्यक्ष मधु रमोला, सीमा रमोला का कहना है कि पहले बाजार नजदीक न होने के कारण दूध का ठीक दाम नहीं मिलता था। अब बाजार की चिंता नहीं है। घर से दूध ले जाया जाता है।
16 लाख का टर्नओवर
दस माह में ही फे डरेशन का करीब 16 लाख रुपये का टर्नओवर है। प्रत्येक परिवार की चार हजार से लेकर सात हजार रुपये तक की मासिक आय हो रही है। सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि रुपया सीधे महिलाओं के हाथ में आ रहा है। डेयरी में दो सौ महिलाएं शेयरधारक हैं, जो मुनाफे में बराबर की हकदार हैं।
फेडरेशन ने महिलाओं को सही राह दिखाने का कार्य किया है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं।
अनिल रमोला, सचिव हिमोत्थान परियोजना फेडरेशन डेयरी