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24 वर्ष बाद इस गांव में हो रहा पांडव नृत्य, ग्रामीणों में भारी उत्‍साह

रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ ब्‍लॉक के दैड़ा गांव में 24 साल बाद पांडव नृत्य का आयोजन किया जा रहा है। इसको लेकर ग्रामीणों में खासा उत्‍साह है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 01 Dec 2016 05:48 PM (IST)Updated: Fri, 02 Dec 2016 03:00 AM (IST)
24 वर्ष बाद इस गांव में हो रहा पांडव नृत्य, ग्रामीणों में भारी उत्‍साह

ऊखीमठ, [जेएनएन]: विकास खंड के दैड़ा गांव में पांडव नृत्य में भक्तों की भीड़ जुट रही है। 24 वर्ष के उपरांत गांव में हो रहे पांडव नृत्य को लेकर ग्रामीणों में भारी उत्साह है। बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर क्षेत्रों से गांव में पहुंच रहे हैं।

पाड़व नृत्य में मोरू डाली कौथिग का मंचन भव्य रूप में किया गया। इस दौरान पांडव पश्वाओं (जिसमें देवता के भाव आते हैं) ने नृत्य के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के लिए भवन बनाने को आरूणी जंगल से लकड़ी लाने का मंचन किया गया। जागर व पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर हो रहे धार्मिक अनुष्ठान में प्रतिदिन में ईष्ट-पित्रों के ध्यान के साथ पांडवों के अस्त्र-शस्त्र पूजे जा रहे हैं।

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आयोजन समिति के संरक्षक दौलत सिंह नेगी का कहना है कि अनुष्ठान के अंतर्गत पैंया डाली, हाथी कौथिग और दुर्योधन वध लीला का मंचन होना है। पांडव लीला को देखने के लिए प्रतिदिन करोखी, रौडू, दिलमी, सारी, पापडी, मस्तूरा, उषाड़ा, हुड्डू, कांडा, बरंगाली, के ग्रामीण पहुंच रहे हैं।

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