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केदारनाथ आपदा की मारी महिलाओं को तंत्र का धोखा

केदारनाथ आपदा में पति को खो चुकी 208 महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने को सरकार ने उन्हें मुफ्त गाय उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था। आरोप है कि उन्हें अच्छी नस्ल की गाय नहीं दी गई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 23 Jun 2017 08:51 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 06:50 AM (IST)
केदारनाथ आपदा की मारी महिलाओं को तंत्र का धोखा
केदारनाथ आपदा की मारी महिलाओं को तंत्र का धोखा

रुद्रप्रयाग, [रविंद्र कप्रवान]: केदारनाथ आपदा में पति को खो चुकी केदारघाटी की 208 महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार ने उन्हें मुफ्त गाय उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था। गाय खरीदने की जिम्मेदारी पशुपालन विभाग को सौंपी गई, लेकिन विभाग ने सरकार की मंशा पर ही पलीता लगा दिया। पीड़ि‍त महिलाओं का आरोप है कि उन्हें अच्छी नस्ल की गाय नहीं दी गई। कुछ दिन बाद गायों ने दूध देना ही बंद कर दिया। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी।

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वर्ष 2013 की आपदा ने बड़ी संख्या में महिलाओं का सुहाग ही नहीं छीना, बल्कि उनके परिवारों की आर्थिकी भी तबाह कर दी। ऐसे में उनके जीवन को पटरी पर लाने के लिए सरकार एवं स्वयं सेवी संस्थाओं ने काफी प्रयास किए। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने पशुपालन विभाग के माध्यम से उन्हें जर्सी गाय देने का निर्णय लिया। इसके लिए विकासखंड स्तर पर 339 विधवाओं की सूची तैयार कर जिला प्रशासन के माध्यम से शासन को भेजी गई। इनमें सबसे सर्वाधिक 296 महिलाएं ऊखीमठ, 30 जखोली और 13 अगस्त्यमुनि ब्लाक से थीं।

प्रस्ताव के सापेक्ष विभाग को 208 गाय खरीदने के लिए 1.20 करोड़ रुपये बजट की स्वीकृति मिली। प्रथम चरण में वरीयता के अनुसार बीपीएल परिवार की महिलाओं को तीन वर्ष के अनुबंध पर इन गायों का वितरण किया गया। इसके मुताबिक ये महिलाएं तीन वर्ष से पहले इन गायों कहीं बेच नहीं सकतीं। विडंबना देखिए कि गाय महिलाओं का सहारा बनने के बजाय उनके लिए मुसीबत बन गईं।

देवली भणिग्राम की आपदा पीडि़त लीला देवी व पूनम देवी बताती हैं कि गाय देते वक्त उन्हें बताया कि यह चार लीटर दूध देती है, लेकिन हकीकत में यह मात्रा एक-डेढ़ लीटर रही। कुछ समय बाद गायों ने दूध देना भी बंद कर दिया। केदारनाथ क्षेत्र की पूर्व विधायक आशा नौटियाल कहती हैं कि इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या होगा कि आपदा पीडि़त महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। नब्बे फीसद गाय दूध नहीं दे रहीं। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।

उधर पशुपालन विभाग के मुख्य चिकित्साधिकारी रमेश सिंह नितवाल ने कहा कि मैदानी क्षेत्रों में गायों को नियमित हरा चारा मिलता है, लेकिन पहाड़ में समय से चारा न मिलने के कारण उनका दूध घट सकता है। इस मामले में जानकारी जुटाई जाएगी।

वहीं, रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है  यह मामला संवेदनशील है। इसकी जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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